Kaimur: कोर्ट के आदेश के बावजूद तालाब से नहीं हटाया गया अतिक्रमण, अंदर तक हो गया है पक्का निर्माण
कैमूर के नुआंव प्रखंड क्षेत्र के गोड़सरा गांव के तालाब को अतिक्रमणमुक्त नहीं कराया जा सका है। जबकि इस मामले में कोर्ट का आदेश प्राप्त हो चुका है। अतिक्रमण की स्थिति यह है कि तालाब के अंदर तक पक्का निर्माण करवा लिया गया है।
नुआंव (कैमूर), संवाद सूत्र। सरकार ने बिहार में बढ़ते जल संकट को देखते हुए जल जीवन हरियाली योजना बड़े जोर शोर से शुरू की है। इसका उद्देश्य भूजल स्तर को बढ़ाना तथा आवश्यकता पड़ने पर सिंचाई की सुविधा प्रदान करना है। इसके लिए सरकारी कुआं, ताल और तालाबों का जीर्णोद्धार करना है। बिहार के जहानाबाद, गया और कैमूर जिला सबसे अधिक जल संकट वाले जिले है। इसलिए इन जिलों में इस योजना का महत्व सहज ही बढ़ जाता है। ऐसे में यदि सरकारी संकल्पना और न्यायालय के आदेश के बाद भी योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही है तो यह एक गंभीर चिंता का विषय है। ऐसा हीं कुछ हाल प्रखंड के गोड़सरा गांव के सरकारी तालाब का है जो अतिक्रमण का शिकार है।
तालाब के अंदर तक पक्का निर्माण
यह तालाब लगभग पांच एकड़ में फैला है। लेकिन इसकी जमीन पर लोगों ने कब्जा कर लिया है। तालाब के अंदर तक मिट्टी भरकर घर का निर्माण भी कर लिया है। तालाब के अंदर बने घरों तक पक्की गली भी बना दी गई है। ग्रामीण यशवंत सिंह ने बताया कि इस तालाब को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए न्यायालय का आदेश भी हो चुका है और अंचलाधिकारी ने इसकी तीन बार मापी भी करा ली है। लेकिन आज तक इसे अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका। उन्होंने बताया कि पहले इस तालाब की बंदोबस्ती भी होती थी, जिससे सरकारी राजस्व मिलता था। अब वह भी बंद है। स्थानीय लोग ही इसमें अब मछली पकड़ने का काम करते है ।
पटवन में होती थी काफी सुविधा
एक समय ऐसा भी था कि जब इसका अतिक्रमण नहीं हुआ था तब सूखे के समय फसलों का पटवन इसके पानी से आसानी से हो जाता था और भूजल स्तर भी अच्छा रहता था। अब यह स्थिति नहीं रही। अतिक्रमण के कारण इसका क्षेत्रफल दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। तालाब का पानी भी जल्दी सूख जा रहा है। अभी गर्मी का मौसम प्रारंभ हो गया। क्षेत्र में आए दिन अगलगी की सूचना मिल रही है। ईश्वर न करें यदि इस ढंग की कोई अप्रिय घटना हो यदि ऐसा हो जाता है तो गम्भीर परेशानी का सबब बन सकता है। तालाब के क्षेत्रफल के सिकुड़ने से इसकी जलग्रहण क्षमता अब काफी कम हो गई है अभी तालाब में नाममात्र का पानी है। अब तो यहीं देखना है कि कब यह तालाब अतिक्रमण मुक्त होता है और सरकारी संकल्प तथा न्यायलय के आदेशों का पालन सुनिश्चित होता है ।