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जापानी बुखार की रोकथाम के लिए टीकाकरण कवरेज बढ़ाने पर जोर, साफ-सफाई का रखें खास ख्याल

राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने सिविल सर्जन व डीआईओ को भेजा पत्र जापानी इंसेफेलाइटिस रोग के लिए हॉट स्पॉट है गया 2019 में हुई थी पांच मौत जानवरों के बाड़ों की सफाई जरूरी शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धोएं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Fri, 19 Mar 2021 04:57 PM (IST)Updated: Fri, 19 Mar 2021 04:57 PM (IST)
जापानी बुखार की रोकथाम के लिए टीकाकरण कवरेज बढ़ाने पर जोर, साफ-सफाई का रखें खास ख्याल
जापानी इंसेफलाइटिस टीकाकरण की कवरेज की ओर बढ़े कदम। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, गया। नि​यमित टीकाकरण के तहत जापानी इंसेफलाइटिस टीकाकरण की कवरेज को और अधिक बढ़ाये जाने का निर्देश दिया गया है। राज्य स्वास्थ्य समिति के अपर निदेशक प्रतिरक्षण सह राज्य प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने सिविल सर्जन व जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी को पत्र से यह कहा है।

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नियमित टीकाकरण के तहत एचएमआइएस से प्राप्त जापानी इंसेफलाइटिस कवरेज के विशलेषण के बाद जिला में एक लाख 32 हजार 19 जापानी इंसेफलाइटिस का लक्ष्य रखा गया है। इसे लेकर होने वाले जेई 1 टीकाकरण 79 प्रतिशत और दूसरा जेई 2 टीकाकरण 78 प्रतिशत ही हो पाया है। इसके लिए विशेष कार्ययोजना बनाकर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। ताकि शुरू हो चुके गर्मी में बच्चों को जापानी इंसेफलाइटिस के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान हो सके।

9-12 माह के बीच जेई -1 का लगता है टीका

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. एमई हक ने बताया जापानी इंसेफलाइटिस से सुरक्षा के लिए दो तरह से टीकाकरण किया जाता है। इनमें 9 माह से 12 के बीच जेई 1 तथा 16 माह से 24 माह के बीच जेई का टीकाकरण मीजल्स और रूबेला के होने वाले टीकाकरण के साथ ही दिया जाता है। गया जिला जापानी इंसेफलाइटिस रोग के लिए हॉट स्पॉट है। वर्ष 2019 में इस रोग के कारण पांच मृत्यृ हुई थी। हालांकि 2020 में एक भी मृत्यु इस रोग से नहीं हुई। जापानीज इंसैफलाइटिस या जापानी बुखार शिशुओं सहित 15 साल तक के बच्चों तक को भी प्रभावित कर सकता है। बुखार के कारण दिमाग में सूजन आ जाता है। बुखार होने पर बच्चे की शारीरिक क्षमता तेजी से प्रभावित होती है। तेज बुखार के साथ उल्टी होती है।

साफ सफाई का रखना है अधिक ख्याल

डॉ. एमई हक ने बताया कि जापानी इंसेफलाइटिस मच्छरों के काटने से होता है। इसके लिए हर प्रकार से साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। सुअर पालने वालों को यह ध्यान रखना है कि सुअर का बाड़ा घर से दूर रखा जाए। जानवरों के बाड़ों सहित घर के पास नाली या नाला आदि की सफाई करते रहें। पानी का जमाव ना हो व कूड़ा करकट फेंकने वाली जगहों की नियमित सफाई आवश्यक है। खाने से पूर्व व शौच के बाद साबुन से हाथ को अच्छी तरहसे धोएं।  सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।


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