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मंदी में उलझ गए ताने-बाने, सुस्त पड़ी भरनी

लोगो लगाएं... ----------- -पटवा टोली में कपड़े का उत्पादन आधा रह गया -अब प्रतिदिन दस लाख की जगह पांच लाख मीटर ही वस्त्र हो रहे तैयार -अन्य राज्यों से थोक व्यवसायी भी कम आ रहे ----------- विश्वनाथ प्रसाद मानपुर

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 02:39 AM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 06:30 AM (IST)
मंदी में उलझ गए ताने-बाने, सुस्त पड़ी भरनी
मंदी में उलझ गए ताने-बाने, सुस्त पड़ी भरनी

बुनकरों की अंगुलियां आज भी वैसे ही कताई-बुनाई कर रहीं, लेकिन ताने-बाने बुरी तरह उलझ गए हैं। उनकी भरनी मंदी के आगे हांफने लगी हैं। पटवा टोली में इन दिनों कपड़े का उत्पादन आधा रह गया।

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मानपुर के पटवा टोली में करीब 985 पावर लूम इकाई हैं। इनमें 12 हजार पावर लूम चल रहे हैं। गत वर्ष प्रतिदिन दस लाख मीटर वस्त्र का उत्पादन होता था। इसमें गमछा, तकिया, तोसक, रजाई खोल, बेडशीट आदि बनाई जाती थी। इन वस्त्रों की बिक्री असम, बंगाल, झारखंड, यूपी आदि जगहों पर की जाती थी। दस लाख मीटर वस्त्र तैयार करने में दो करोड़ पचास लाख रुपये की लागत आती है। इसमें करीब पांच लाख रुपये के मुनाफे होते थे। मंदी की वजह वस्त्रों की बिक्री घट गई है। उद्योग नगरी में थोक भाव से वस्त्र खरीदने दूसरे राज्य के व्यवसायियों का आना काफी कम हो गया। इसके कारण वस्त्रों का उत्पादन आधा हो गया। फिलहाल यहां पांच लाख मीटर वस्त्र की तैयारी हो रही है। इसमें एक करोड़ पचीस लाख लागत लगते हैं। इसकी बिक्री होने पर दो लाख पचास हजार के मुनाफे होते। वस्त्र उद्योग में आई मंदी की वजह से उद्योग नगरी की कई पावर लूम इकाई बंद होने के कगार पर पहुंच गई हैं। चौबीस घंटे चलने वाले उद्योग अब सात-आठ घंटा ही चल रहे हैं।

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जीएसटी लागू होते ही वस्त्र उद्योग में मंदी आ गई। मार्केट में पूंजी की कमी के कारण टर्न ओवर कम हो गया। बैंक को इसके लिए कर्ज देना चाहिए। लेकिन बैंक लॉन देना नहीं चाहती।

प्रेमनारायण पटवा, अध्यक्ष वस्त्र उद्योग बुनकर सेवा समिति -----------------

मंदी की व्यापक मार पड़ी है। वस्त्र उद्योग में 30 प्रतिशत पावर लूम बंद हो चुकी है। इससे 20 प्रतिशत बुनकर बेरोजगार हो गए। अगर मंदी की यही स्थिति रही तो 50 प्रतिशत से अधिक पावर लूम बंद हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में बुनकर बैंक के कर्ज चुकाने में असमर्थ हो जाएंगे। मंदी से निपटने के लिए सरकार को सस्ते दर पर बिजली और कर्ज में रियायत देनी चाहिए।

रवि राज पटवा, उद्योगपति

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जीएसटी लग जाने के बाद कैश ट्रांजेक्शन में कमी आई। व्यवसायियों का सभी ट्रांजेक्शन बैंक द्वारा किए जाने के बाद मार्केट में नकदी का घोर अभाव हो गया। इसके कारण वस्त्रों के व्यापार में काफी मंदी आ गई। कपड़ा व्यवसाय से जीएसटी हटा लिया जाय तो वस्त्र उद्योग में पुन: चार चांद लग जाएगा।

-खोवनारायण पटवा, उद्योगपति

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पावर लूम टेक्सटाइल उद्योग पर पूरे देश में मंदी का असर है। पटवा टोली के उद्योग भी प्रभावित है। यहां तैयार किए जा रहे विभिन्न तरह का वस्त्र दूसरे प्रदेश में ले जाने वाले व्यवसायियों में काफी कमी आ गई है। इसके कारण यहां के गोदामों में वस्त्र भरमार पड़े हैं। बिक्री नहीं होने के कारण वस्त्र को लोग तैयार करना कम कर दिए हैं।

अमरनाथ प्रसाद, उद्योगपति


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