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Rohtas: लॉकडाउन में संस्‍थागत प्रसव में आई कमी, एंबुलेंस की कमी व कोरोना का खौफ बना कारण

एंबुलेंस की कमी व अस्‍पताल को कोविड केयर सेंटर बनाए जाने से जननी बाल सुरक्षा कार्यक्रम प्रभावित हुआ है। इसका नतीजा है कि संस्‍थागत प्रसव में काफी कमी आई है। पहले एक माह में तीन सौ से अधिक प्रसव होते थे अब वह संख्‍या सौ के आसपास आ गई है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 12:50 PM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 12:50 PM (IST)
Rohtas: लॉकडाउन में संस्‍थागत प्रसव में आई कमी, एंबुलेंस की कमी व कोरोना का खौफ बना कारण
कोरोना की वजह से संस्‍थागत प्रसव में आई कमी। प्रतीकात्‍मक फोटो

सासाराम (रोहतास) जागरण संवाददाता।  कोरोना का असर संस्‍थागत प्रसव (Corona Effect on Institutional Delivery) पर भी हुआ है। लॉकडाउन में प्रसव के लिए गर्भवती महिलाएं सरकारी अस्पतालों में कम ही पहुंच रहीं हैं। जिला अस्पताल में प्रसव की संख्या में काफी कमी आई है। जहां पहले एक माह में औसतन तीन सौ प्रसव होता था वहीं अब यह संख्या घटकर लगभग सवा सौ के आसपास रह गई  है। इसका मुख्य वजह कोरोना और लॉकडाउन को माना जा रहा है। लेबर पेन के समय ग्रामीण इलाकों से सदर अस्पताल तक पहुंचने का एकमात्र साधन एंबुलेंस सेवा ही है, जो कोरोना की वजह से सभी को आसानी से मिल नहीं पा रहा है। इस कारण भी संस्थागत प्रसव में कमी आने की बात मानी जा रही है। बीते एक पखवारा की बात करें तो सिर्फ 25 महिलाओं का प्रसव सदर अस्पताल में हुआ है। 

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पिछले वर्ष अप्रैल व मई में हुए थे 215 प्रसव   

पिछले साल लॉकडाउन के दौरान अप्रैल व मई माह में 215 महिलाएं प्रसव के लिए सदर अस्पताल पहुंचीं थीं। वहीं इस बार लॉकडाउन के दौरान किसी दिन दो तो किसी दिन तीन या कभी एक भी महिला प्रसव के लिए अस्पताल नहीं पहुंची रही हैं। फिलहाल जिला अस्पताल में हर रोज औसतन 10 से 12 का प्रसव हो रहा है। सदर अस्पताल में प्रसव को ले पहुंची नोखा प्रखंड के विशुनपुरा के बलवंत चौधरी की पत्नी संगीता यहां की व्यवस्था व कर्मियों के सहयोग से संतुष्ट दिखीं। उनका कहना था की सरकारी अस्पताल की व्यवस्था अब पहले से काफी बेहतर है। वहीं काराकाट से आई पूजा कुमारी भी प्रसव के लिए सदर अस्पताल को ही प्राथमिकता दी।

कोरोना की वजह से डर रहे लोग

सासाराम सदर अस्‍पताल की प्रसव वार्ड की इंचार्ज विद्या सिन्‍हा कहती हैं कि इन दिनों सदर अस्पताल परिसर में ही कोविड केयर सेंटर होने से कुछ लोग सदर अस्पताल में प्रसव कराने से डर रहे हैं। पूर्व के अनुपात में कोरोना काल में प्रसव की संख्या में कमी आई है। यहां प्रसव के लिए पहुंचने वाली गर्भवती की सुरक्षा का पूरा संसाधन उपलब्ध है। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सारी सावधानी बरती जा रही है। अस्पताल के लेबर रूम में विशेष साफ-सफाई, शारीरिक दूरी के साथ- साथ मास्क और सैनिटाइजर का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जा रहा है। 

कोरोना से पूर्व वर्ष 2018 में हुए प्रसव 

  • जनवरी        251 
  • फरवरी        191
  • मार्च            180
  • अप्रैल          173
  • मई             174
  • जून             143
  • जुलाई          220
  • अगस्त         304
  • सितंबर        304
  • अक्टूबर       320
  • नवंबर          318
  • दिसंबर        171

वर्ष 2019 में हुए प्रसव 

  • जनवरी       234
  • फरवरी       209
  • मार्च           203
  • अप्रैल         187
  • मई            172
  • जून            186
  • जुलाई         240
  • अगस्त        314
  • सितंबर       298
  • अक्टूबर      304
  • नवंबर         266
  • दिसंबर        235

वर्ष 2020 में हुए प्रसव 

  • जनवरी      246
  • फरवरी      198
  • मार्च           176
  • अप्रैल         116
  • मई             99
  • जून            127
  • जुलाई         126
  • अगस्त         175
  • सितंबर        233
  • अक्टूबर       259
  • नवंबर          262
  • दिसंबर         219 

वर्ष 2021 में अप्रैल तक हुए प्रसव 

  • जनवरी      180
  • फरवरी      152
  • मार्च           160
  • अप्रैल         120

मई माह में लॉकडाउन से पूर्व हुए प्रसव

  • 1 मई  - 5
  • 2 मई  - 4
  • 3 मई  - 5
  • 4 मई   - 6
  • 5 मई   - 3

लॉक डाउन लगने के बाद 20 मई तक

  • 6 मई - 1
  • 7 मई  -0
  • 8 मई  - 1
  • 9 मई  - 3
  • 10 मई - 3
  • 11 मई - 2
  • 12 मई -5
  • 13 मई -  1
  • 14 मई - 0
  • 15 मई - 2
  • 16 मई -2
  • 17 मई - 3
  • 18 मई - 2
  • 19 मई - 0
  • 20 मई - 1

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