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बोधगया से विदेशों तक पहुंची बौद्ध महोत्सव की बयार

बोधगया में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले त्रिदिवसीय बौद्ध महोत्सव की बयार देश-विदेश तक पहुंचती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 10:07 PM (IST)
बोधगया से विदेशों तक पहुंची बौद्ध महोत्सव की बयार
बोधगया से विदेशों तक पहुंची बौद्ध महोत्सव की बयार

गया। बोधगया में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले त्रिदिवसीय बौद्ध महोत्सव की बयार देश-विदेश तक पहुंची।

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इसका उद्घाटन करने पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बौद्ध महोत्सव का आयोजन बोधगया के महाबोधि मंदिर में आयोजित बौद्धों की पूजा के दौरान कराया जाए। इसलिए इस बार जनवरी में आयोजित किया गया। पिछले वर्ष फरवरी के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया गया था। इसकी शुरुआत वर्ष 1998 में हुई थी।

बौद्ध महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप वर्ष 2012 में मिला, जब थाईलैंड और श्रीलंका के कलाकारों ने इसमें अपनी सहभागिता सुनिश्चित कराई। उसके बाद भूटान, म्यांमार, लाओस, वियतनाम व तिब्बती ग्रुप भी इसमें शामिल हुआ। इस वर्ष पहली बार इंडोनेशिया और कंबोडिया के कलाकारों ने बौद्ध महोत्सव के मंच से अपने-अपने देश की कला-संस्कृति से लोगों को रूबरू कराया। लोगों को यह महसूस हुआ कि बौद्ध महोत्सव देश-प्रदेश से निकलकर विदेशों तक जा पहुंचा है।

इसका आयोजन प्रतिवर्ष बिहार का पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन व महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया जाता है। इस महोत्सव को पर्यटन विभाग द्वारा शांति, कला व ज्ञान का पावन संगम महोत्सव करार दिया गया है। इस महोत्सव में प्रस्तुति देने वाले नामचीन कलाकारों के साथ विदेशी कलाकार भी अपनी कला, संस्कृति व वाद्ययंत्रों का प्रदर्शन करते हैं।

बौद्ध महोत्सव में प्राय: तीन दिनों के मुख्य आकर्षण रहे फिल्मी दुनिया के पा‌र्श्व गायकों को सुनने और देखने को स्थानीय श्रोता आते हैं।

गया-डोभी मार्ग पर दोमुहान मोड़ के समीप संबोधि द्वार से कालचक्र मैदान तक बौद्ध महोत्सव को लेकर विशेष सजावट की जाती है। जगह-जगह पर बौद्ध महोत्सव को लेकर तोरण द्वार और होर्डिग-बैनर लगाए जाते हैं। मार्ग के दोनों ओर प्रकाश व्यवस्था और नोड एक से छोटे-छोटे कैंडल सहित अन्य प्रकार के प्रकाश से सुसज्जित किया जाता है। महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति से कालचक्र मैदान तक पंचशील ध्वज लगाया जाता है। प्रकाश व्यवस्था और पंचशील ध्वज से की गई सजावट आने वाले पर्यटकों को महोत्सव के आयोजन का अहसास कराती है।


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