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विधान परिषद चुनाव में कई सीटों की उम्‍मीदवारी पर संशय, गया सीट पर चलेगी तीर या खिलेगा कमल

त्रिस्‍तरीय पंचायत चुनाव की वजह से विधान परिषद के चुनाव पर भी ग्रहण लगता दिख रहा है। क्‍योंकि वोटर तो पंचायत प्रतिनिधि ही होते हैं। लेकिन एक सवाल लोगों के मन में कौंध रहा है कि इस बार नए समीकरण का असर क्‍या होगा।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 07:40 AM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 07:40 AM (IST)
विधान परिषद चुनाव में कई सीटों की उम्‍मीदवारी पर संशय, गया सीट पर चलेगी तीर या खिलेगा कमल
इस बार बदला दिखेगा विधान परिषद चुनाव का परिदृश्‍य। प्रतीकात्‍मक फोटो

नीरज कुमार, गया। जुलाई 2021 को गया की जदयू विधान पार्षद मनोरमा देवी सहित प्रदेश की कई सीटें खाली हो रही है। ऐसे में विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Election) होंगे या नहीं, इस पर अभी फिलहाल संशय बना हुआ है। चूंकि कार्यकाल समाप्त होने पर महज एक माह शेष रह गए हैं। लेकिन अभी तक प्रशासनिक तैयारी की शुरुआत भी नहीं हुई है। इस कारण विधान परिषद चुनाव के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। हालां‍कि राजनीतिक हलके में चर्चा है कि 2014 और 2021 के गठबंधन का असर विधान परिषद चुनाव पर पड़ेगा। गठबंधन पलट गया है।  ऐसे में जदयू के खाते में रहे गया-जहानाबाद-अरवल विधान परिषद सीटों का दृश्‍य भी बदल सकता है। 

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मतदाता ही नहीं तो फिर कैसे होगा चुनाव 

जानकार बताते है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव टल गया है। पंचायत से लेकर जिला स्तरीय प्रतिनिधियों का चुनाव को राज्य सरकार ने कुछ महीनों के लिए टाल दिया है। पंचायत का कार्यकाल जून 2021 में ही समाप्त हो रहा है। अब सवाल यह उठता है कि जब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव नहीं होंगे तो विधान परिषद चुनाव में वोट कौन डालेंगे। विधान परिषद चुनाव में गया, जहानाबाद और अरवल जिले के पंचायत से लेकर जिला स्तर पर चुने हुए प्रतिनिधि हीं वोट करते हैं। विधान परिषद चुनाव में वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्‍य, मुखिया और जिला परिषद सदस्य वोट डालते हैं। जब मतदाता नहीं होंगे तो विधान परिषद चुनाव टलना लाजि‍मी है। हालांकि‍ राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से विधान परिषद चुनाव कराने या फिर टालने की सूचना नहीं दी गई है। लेकिन अटकलें लगाई जा रही है कि जब मतदाता नहीं होंगे तो चुनाव टल सकता है।

गठबंधन से बदल सकता है दावा

वर्ष 2014 में विधान परिषद चुनाव हुए थे। उस वक्त जदयू, कांग्रेस और राजद (JDU, Congress and RJD) महागठबंधन में था। इस गठबंधन में रहते हुए मनोरमा देवी को जदयू कोटे से उम्मीदवार बनाया गया था। जदयू और महागठबंधन के कारण उनकी विजय हुई थी। दूसरे नंबर पर भाजपा, हम और लोजपा( BJP, LJP and HAM) के राजग उम्मीदवार डॉ.अनुज कुमार रहे थे। अनुज सिंह अभी जदयू में हैं। लेकिन 2021 में गठबंधन का समीकरण बदल गया। बदले हुए गठबंधन के कारण गया के विधान परिषद सीट का समीकरण बदल सकता है। अभी फिलहाल यह सीट जदयू के पास है। अभी तक इस सीट पर भाजपा की ओर से दावा नहीं किया गया है। लेकिन भाजपा में इस बात को लेकर चर्चा है कि बदले हुए गठबंधन के समीकरण में इस सीट पर दावा किया जा सकता है। इसे लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष धनराज शर्मा से पूछा गया तो कहा कि विधान परिषद सीट पर दावा का निर्णय प्रदेश स्तर के नेता करते हैं। इस पर फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं। इतना कहा कि विधान परिषद चुनाव को लेकर प्रदेश स्तर पर जल्दी हीं बैठकें होने वाली है।


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