केंद्र सरकार की गाइडलाइन की सरकारी स्कूलों में हो रही अनदेखी
गया। कोरोना महामारी को लेकर केंद्र सरकार की गाइडलाइन पर बिहार सरकार ने 31 अगस्त तक सभ
गया। कोरोना महामारी को लेकर केंद्र सरकार की गाइडलाइन पर बिहार सरकार ने 31 अगस्त तक सभी जिलों में सरकारी स्कूल-कॉलेजों व शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने का आदेश जारी किया गया था। वहीं, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति केंद्र सरकार की गाइड लाइन के विरुद्ध स्कूल व कॉलेजों के शिक्षकों से काम ले रहा है।
बता दें कि सात अगस्त से सभी स्कूल-कॉलेजों में इंटरमीडिएट में नामांकन लिया जा रहा है। ज्यादातर ऑफ लाइन नामांकन ही जिले के सभी प्लस टू स्कूलों में हो रही है। इससे कोरोना महामारी के बढ़ने का भी डर बना हुआ है। साथ ही जिला शिक्षा पदाधिकारी के आदेशानुसार और इंटरमीडिएट काउंसिल के द्वारा इंटर में नामांकन के लिए प्रथम लिस्ट जारी कर नामांकन लिया जा रहा है। वहीं, नौवां में भी स्कूलों में नामांकन बच्चों का लिया जा रहा है।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ पटना के अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय ने विरोध किया था कि स्कूलों में 31 अगस्त तक केंद्र सरकार के गाइडलाइन का पालन करते हुए शिक्षकों को स्कूल की जिम्मेदारियों से मुक्त रखा जाए। लेकिन स्कूल व कॉलेज के प्रशासन की ओर से शिक्षकों को स्कूल की जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं किया गया। सरकारी स्कूलों में मध्य विद्यालयों में जहां आठ कक्षा के बच्चों के लिए स्कूल बंद के दौरान आठवां कक्षा का स्थानांतरण प्रमाण पत्र का कार्य शिक्षकों के द्वारा चालू है। वहीं,एक से सात कक्षा के बच्चों को स्कूल बंद के दौरान शिक्षकों को चावल वितरण में लगाया गया है। इस महीना में 18 अगस्त से मैट्रिक का फॉर्म भरवाने का आदेश स्कूलों को शिक्षकों को दी गई है। साथ ही 19 अगस्त से इंटरमीडिएट का फॉर्म भरने का कार्य शुरू होगी है। कोरोना महामारी के बचाव के लेकर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. मनोज कुमार निराला ने कहा कि सभी प्लस टू स्कूलों में इंटर में नामांकन ऑफ लाइन शुरू है। लेकिन,बिहार विद्यालय परीक्षा समिति पटना के द्वारा स्कूलों में छात्रों से इंटर में नामांकन के दौरान ऑनलाइन फीस या शुल्क जमा करने का प्रबंध किया जाए।
वहीं, बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर कोरोना काल में कुछ नहीं हुआ है। वहीं, बिहार सरकार के द्वारा दूरदर्शन चैनल पर टीवी के माध्यम से पढ़ाने कार्य से कई अभिभावक और बच्चे अनजान रहे। कुल मिलाकर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए यह माह भी शिक्षकों द्वारा आधे-अधूरे समझे गए। बच्चों का पाठ्यक्रम किताबों में ही सिमटा जा रहा है। इस व्यवस्था से बच्चों के भविष्य अंधकार में लगता है।