गया में मधु कलस्टर सेंटर पर डीएम को नहीं मिला एक भी प्रवासी मजदूर, जान लीजिए क्या है योजना
कोरोना काल में प्रदेश से लौटे मजदूरों को रोजगार देने के लिए बिहार सरकार के द्वारा कई योजनाएं चलाए जा रहे हैं। लेकिन संबंधित अधिकारियों के लापरवाही के कारण योजना का लाभ प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, गया। कोरोना काल में प्रदेश से लौटे मजदूरों को रोजगार देने के लिए बिहार सरकार के द्वारा कई योजनाएं चलाए जा रहे हैं। लेकिन संबंधित अधिकारियों के लापरवाही के कारण योजना का लाभ प्रवासी मजदूरों को नहीं मिल रहे हैं। यानि कागज पर ही योजना चलाकर पैसों की बंदरबांट कर ली जा रही है। ऐसा खुलासा बुधवार को तब हुई जब डीएम अभिषेक सिंह मानपुर के कईया में चल रहे मधु कलस्टर सेंटर पर पहुंचे। जहां एक भी प्रवासी मजदूर मधु मक्खी पालन करते नहीं दिखे। वहां मौजूद रहे रजिस्टर में अंकित मजदूरी के मोबाइल से कॉल करवाया गया। तब जाकर सच्चाई सामने आ गई।
मधु कलस्टर सेंटर के एक स्टॉफ के द्वारा मोबाइल से बात होने पर प्रवासी मजदूर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं एक दिन भी मधु कलस्टर सेंटर में काम नहीं किया हूं। ऐसी बात सुनते ही डीएम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह योजना कागज पर चल रही है। यहां तो एक भी मजदूरों को रोजगार नहीं मिले हैं। डीएम ने जिला उद्योग विभाग के महाप्रबंधक विरेंद्र सिंह से कहा कि अगर एक सप्ताह में प्रवासी मजदूरों को रोजगार नहीं मिली तो इस योजना से जुड़े तमाम लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।
क्या है योजना
मुख्यमंत्री जिला औद्योगिक नव परिवर्तन योजना से मानपुर के कइया में मधु कलस्टर सेंटर छह माह पूर्व खोला गया। मधु पालन करने के लिए सौ बक्सा के साथ 4 लाख 65 हजार रूपए भी दी गई। इस योजना से 20 प्रवासी मजदूरों को रोजगार देनी थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। डीएम के आने की बात सुन मधु कलस्टर सेंटर के संचालक के द्वारा एक मकान के बगल में रहे चाहारदिवारी के अंदर रखे हुए बालू पर मधू पालन के लिए मिले बक्से को रख दिया गया था। उसमें एक भी मधुमख्खी नहीं थे। न तो वहां एक प्रवासी मजदूर ही दिखे।
20 लाख की लागत से लगेगी मशीन
मधु कलस्टर सेंटर में मशीन लगाने के लिए 20 लाख रूपया बहुत जल्द ही मिलना है। ताकि यहां मधू का उत्पादन वृहत पैमाने पर लगातार होते रहे। जिससे प्रवासी मजदूरों को लगातार आमदनी होते रहे। लेकिन कलस्टर सेंटर की स्थित देख डीएम ने कहा कि 4 लाख 65 हजार रूपए खर्च होने के बाद भी प्रवासी मजदूरों को रोजगार नहीं दिया गया। अब उन्हें 20 लाख कैसे दी जाएगी।