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Aurangabad: यहां एक लाख मास्‍क लेकर बैठी हैं दीदी, न पहले के पूरे पैसे मिले न अब कोई खरीदार

कोरोनावायरस से बचाव के लिए औरंगाबाद की जीविका दीदियों ने मास्‍क का निर्माण किया। लेकिन अब तक न तो उनके पूरे मास्‍क बिके और न ही पैसे का भुगतान किया गया। इस कारण उनके समक्ष मायूसी पसरी है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 09:52 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 09:52 AM (IST)
Aurangabad: यहां एक लाख मास्‍क लेकर बैठी हैं दीदी, न पहले के पूरे पैसे मिले न अब कोई खरीदार
मास्‍क निर्माण में जुटीं जीविका दीदियां। जागरण

शुभम कुमार सिंह, औरंगाबाद।  कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क जरूरी है। सरकार सभी को मास्क पहनने को कहती है। इस क्रम में लोगों को मास्‍क उपलब्ध कराया गया। बड़े पैमाने पर इसके लिए जीविका दीदियों ने मास्‍क तैयार कर दिया। लेकिन दिन-रात एक कर मास्क बनाकर प्रशासन के माध्यम से पंचायत को उपलब्ध कराने वाली जीविका दीदियों को अब तक मास्‍क के लिए पूरे पैसे नहीं मिले हैं। औरंगाबाद जिले से एक करोड़ 60 लाख 15 हजार एक सौ रुपये (16015100) रुपये का मास्‍क जिला प्रशासन को जीविका दीदियों की ओर से उपलब्‍ध कराया गया। लेकिन उन्‍हें अब तक महज 42 लाख एक हजार रुपये का भुगतान ही हो सका है। मतलब आधी से भी कम राशि। 

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अब भी पड़े हैं करीब एक लाख मास्‍क  

जिले के रफीगंज एवं गोह के अलावा किसी भी प्रखंड में मास्क का पैसा अभी तक नहीं मिल पाया है। इस साल जीविका दीदियों ने 12,25, 803 मास्क बनाए। इनमें से 15-15 रुपये की दर पर 11, 26, 840 मास्क जीविका दीदियों ने बनाकर प्रखंडों को दिए। अब भी जीविका दीदी के पास 99, 663 मास्क पास पड़े हुए हैं। उनका खरीदार नहीं मिल रहा। डीपीएम जीविका पवन कुमार का कहना है कि 911 जीविका दीदियांं कुल 30 केंद्रों पर मास्क बनाने का कार्य करती हैं। इनके बनाए मास्क की तारीफ हर कोई करता है। डीएम सौरभ जोरवाल कई मौकों पर इसकी तारीफ भी कर चुके हैं।

मास्क के नहीं मिल रहे खरीददार

जीविका दीदियों के मास्क जब इतने पसंद आते हैं तो उनके खरीदार क्यों नहीं मिलते। खरीदे गए मास्क का भुगतान क्यों नहीं होता। इस सवाल पर डीपीएम जीविका पवन कुमार ने बताया कि पिछले साल कोरोना काल में मुखियों के जरिये मास्क खरीदने व वितरण की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन, उन लोगों ने कह दिया कि इधर-उधर से मास्क का इंतजाम कर बांट दिया गया। जीविका दीदियों के मास्क पड़े रह गए। उसके बाद पंचायत सचिवों को इस हिदायत के साथ मास्क बांटने की जिम्मेवारी सौंपी गई कि उसका वितरण कर पैसे का कलेक्शन करेंगे। सभी प्रखंडों के बीडीओ को इसकी देखरेख करनी थी। पता चला कि किसी प्रखंड से पैसा वसूल नहीं हो पाया। उधार में मास्क भी बंट गए। उधारी में मास्क बिक जाने से जीविका दीदियों का मन भारी हो गया। उनके पास मास्क का स्टॉक जमा है मगर उसके उठाव व वितरण में न तो पंचायत सचिव दिलचस्पी ले रहे हैं न बीडीओ ही। जबकि जितना का ऑर्डर दिया गया था, उससे थोड़ा कम ही मास्क उपलब्ध कराया गया है।

आखिर कहां गए जीविका दीदी के मास्क

मास्क बनाकर जीविका दीदियों ने विभाग को दे दिया। इस मास्क को पंचायत में वितरण करना था परंतु  बंदरबांट कर दिया गया। पंचायत में ग्रामीणों को इस मास्क का लाभ नहीं मिल सका। जिले के सैकड़ों पंचायत में मास्क नहीं बांटे गए। आखिर सवाल यह खड़ा होता है कि जीविका दीदियों के बांटे गए मास्क आखिर गए कहां। न तो इस ओर जिला प्रशासन ध्यान दे रहा है और न ही जनप्रतिनिधि। इससे साफ स्पष्ट है कि जीविका दीदी के मास्क के पैसे के साथ खेला हो गया है।  


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