Dhanteras 2021: प्रदोष काल में मनाई जाएगी धन्वंतरि की जयंती, इन चीजों की खरीदारी होती है शुभ
भगवान धन्वंतरि की जयंती मंगलवार ( 2 अक्टूबर) को प्रदोष काल में मनाई जाएगी। भगवान धन्वंतरि चिकित्सकों के भी आराध्य देव माने जाते हैं। इसी दिन समुद्र मंथन से अमृत कलश के साथ भगवान धन्वंतरि का अवतरण हुआ था। इस दिन इन चीजों को खरीदना शुभ माना जाता है।
दाउदनगर (औरंगाबाद), संवाद सहयोगी। भगवान धन्वंतरि की जयंती मंगलवार ( 2 अक्टूबर) को प्रदोष काल में मनाई जाएगी। भगवान धन्वंतरि चिकित्सकों के भी आराध्य देव माने जाते हैं। इसी दिन समुद्र मंथन से अमृत कलश के साथ भगवान धन्वंतरि का अवतरण हुआ था। औषधी निर्माण प्रतिष्ठानों, दवाखाना एवं आयुर्वेदिक संस्थानों में सविधि पूर्वक संध्या छह बजे से शाम 06.45 बजे के मध्य पूजा अर्चना की जाएगी। यह जानकारी पंडित लाल मोहन शास्त्री ने दी।
बताया कि प्रात: 09.56 बजे के बाद हस्त नक्षत्र आ जाने पर धनतेरस संबंधित चांदी का सिक्का, सोने की गिन्नी, चांदी-सोने-पीतल या मिट्टी से बनी लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा, तांबा, कांसा, पीतल, स्टील के बर्तन जो भोजन में उपयोग किया जाता है। सूप, बढऩी तथा मिट्टी इत्यादि के दीपक खरीदे जाते हैं। श्री शास्त्री ने बताया कि इसी दिन समुद्र मंथन से एरावत हाथी व माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ है। जिस प्रकार से कार्य के प्रारंभ में सबसे पहले मां-बेटा (गौरी गणेश) की पूजा होती है, उसी प्रकार से प्रत्येक वर्ष भाई बहन (एरावत हाथी, माता लक्ष्मी) की पूजा अर्चना दीपावली में की जाती है। एरावत हाथी के रूप में गणेश की पूजा की जाती है।
उन्होंने बताया कि श्री सूक्तम में कहा गया है कि लक्ष्मी की कृपा से द्वार पर हाथी नाद करता है। वही धनवान माना जाता है। इस दिन लड़कियां मिट्टी के बर्तन और घर सम्बन्धित खिलौने लेती हैं। स्वयं घरकोन (घरौंदा) बनाती है। धनतेरस के अगले दिन कहीं कहीं रात्रि में महिलाएं यमदियरी निकालती हैं। यह दीपक तिल के तेल में बत्ती से जलाकर दक्षिण मुख रखा जाता है। इससे घर में अकाल मौत की आशंका नहीं हाेती है।