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देवोत्थान पर्व पर श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर में की पूजा

गया। देवोत्थान पर्व के मौके पर सोमवार को शहर के विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ विष्णुपद मंदिर में रही। यहां पूजा-अर्चना को लेकर श्रद्धालु सुबह से पहुंचने लगे थे।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Nov 2021 11:18 PM (IST)Updated: Mon, 15 Nov 2021 11:18 PM (IST)
देवोत्थान पर्व पर श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर में की पूजा
देवोत्थान पर्व पर श्रद्धालुओं ने विष्णुपद मंदिर में की पूजा

गया। देवोत्थान पर्व के मौके पर सोमवार को शहर के विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ विष्णुपद मंदिर में रही। यहां पूजा-अर्चना को लेकर श्रद्धालु सुबह से पहुंचने लगे थे। श्रद्धालु पूजन सामग्री के साथ कतार में खड़े हो गए थे। सुरक्षाकर्मियों द्वारा एक-एक कर श्रद्धालुओं को मंदिर के प्रवेश द्वार पर जांच किया जा था। जांच के बाद ही सुरक्षाकर्मी प्रवेश की अनुमति दे रहे थे।

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मंदिर व गर्भगृह को आकर्षक तरीके से सजाया था। श्रद्धालुओं ने श्री हरि को आंवला, तुलसी, दूध, मधु, पुष्प एवं गन्ना का रस अर्पित किया। विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभूलाल विट्ठल ने कहा कि एकादशी तिथि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजन किया। पूरा मंदिर परिसर वैदिक मंत्रोच्चारण से गूंज रहा था। वहीं शहर के गोलपत्थर, मां दुखहरणी, मां बगलामुखी सहित अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

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हरिप्रबोधिनी एकादशी पर श्रद्धालुओं ने फल्गु में किया स्नान

हरिप्रबोधिनी एकादशी पर श्रद्धालुओं ने फल्गु नदी में स्नान किया। स्नान को लेकर देवघाट पर भीड़ अधिक रही। श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद दीपदान किया।

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जगह-जगह पर तुलसी विवाह का आयोजन

हरिप्रबोधिनी एकादशी को तुलसी विवाह के नाम भी जाना है। इसी दिन भगवान शालीग्राम (विष्णु) का विवाह तुलसी से हुआ था। इस कारण से शहर में जगह-जगह में तुलसी विवाह का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उक्त तिथि से भीमपंचत व्रत प्रारंभ हो गया, जो पांच दिनों तक चलेगा।

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खूब हुई गन्ने का बिक्री

देवोत्थान पर्व को लेकर शहर में गन्ने की खूब बिक्री हुई। जगह-जगह पर गन्ने की ढेर लगा था। जहां लोग गन्ने की खरीदारी कर रहे थे। सबसे अधिक लोग रांची, हजारीबाग एवं रामगढ़ के गन्ने की खरीदारी कर रहे थे। गन्ना 20 से लेकर 40 रुपये प्रति पीस तक बिक रहा था।


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