बोधगया के महाबोधि मंदिर में अब कपड़े की चप्पलें पहनकर प्रवेश करेंगे श्रद्धालु, गर्मी में जलने से बचेंगे पैर
विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर परिभ्रमण करने आने वाले देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति द्वारा कपड़े का चप्पल मुहैया कराया जाएगा। जिसे जीविका की महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है। श्रद्धालु इन चप्पलों को पहनकर मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे और गर्मी में पैरों की जलन से बचेंगे।
जागरण संवाददाता, बोधगया : कोरोना के तीसरे लहर के बाद स्थिति सामान्य हाेने लगी है। बोधगया में देशी-विदेशी पर्यटकों का आगमन होने लगा है। लेकिन यहां की गर्मी लोगों को परेशान करती है। ऐसे में विश्व धरोहर महाबोधि मंदिर परिभ्रमण करने आने वाले देशी-विदेशी श्रद्धालुओं को महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति द्वारा कपड़े का चप्पल मुहैया कराया जाएगा। जिसे जीविका की महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है।
वैसे तो बीटीएमसी द्वारा मंदिर के बाहय और आंतरिक हिस्से में कारपेट बिछाया जाता है। बावजूद इसके श्रद्धालु अपने पैरों में गर्मी की जलन महसूस करते हैं। ये कपड़े के चप्पल श्रद्धालुओं के पैरों में होने वाले जलन को दूर करेगी।
50 चप्पलों की हुई है आपूर्ति
चप्पल को महाबोधि मंदिर से कुछ ही दूर पर स्थित रतिबिगहा में जीविका समूह की ममता देवी व उनके ग्रुप की महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है। ममता कहती है कि इसके लिए बीटीएमसी के अधिकारियों व भिक्षुओं के साथ बैठक हुआ था। उसके बाद 50 चप्पल की आपूर्ति की हूं। दो सौ और चप्पल की मांग है। उसे जल्द ही पूरा कर देंगे। फिलहाल ममता जूट का चप्पल तैयार कर रही हैं। वे कहती है कि जूट का चप्प्ल भी गर्मी और ठंड में लोगों के पैरों को राहत देगा।
यूटयूब से ली प्रशिक्षण
कपड़े और जूट का चप्पल बनाने का प्रशिक्षण वे यू टयूब से ली। उसके बाद घर में प्रयास करने लगी। एक-दो चप्पल लोगों के पास पहुंचा तो इसका प्रचार होने लगा। उसके बाद बीटीएमसी से आडर मिला और 50 चप्पल आपूर्ति कर दी। उन्होंने कहा कि हमारे घर पर ही ग्रुप की महिलाएं और युवतियां आती है और चप्पल बनाने का काम करती हैं। एक सूती साड़ी में एक जोड़ा चप्पल बनता है। सूती साड़ी की खरीदारी पर लगभग डेढ़ सौ रुपए का खर्च आता है। उसे 50 रुपए मुनाफा पर बीटीएमसी को दिया गया है।
50 चप्पल स्वागत कक्ष में रखा गया
बीटीएमसी को प्राप्त 50 चप्पल स्वागत कक्ष में रखा गया है। जहां अतिथि व विशिष्ट अतिथि के उपयोग के लिए रखा गया है। जैसे जैसे चप्पल मिलता जाएगा, उसे बीटीएमसी के शू काउंटर पर रखा जाएगा। जहां आगत देशी-विदेशी श्रद्धालु अपना शू व चप्पल जमा करेंगे। वहां उन्हें कपड़े का चप्पल मुहैया कराया जाएगा। जो निशुल्क रहेगा। वापसी पर श्रद्धालु कोयह प्रयास स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से किया गया है। कपड़े का चप्पल जमा करने पर उन्हें अपना शू या चप्पल दिया जाएगा। इसके लिए गत दिनों बीटीएमसी के त्रैमासिक बैठक में निर्णय लिया गया था।