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पटना हाईकोर्ट की सख्‍ती के बावजूद जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की कैमूर में पहल हो रही असफल

हाई कोर्ट की सख्ती के बाद भी जलस्रोत नहीं हो रहे अतिक्रमणमुक्त रामगढ़ में कागज पर अतिक्रमणमुक्त हो रहे तालाब डरवन के ऐतिहासिक तालाब की पड़ताल में हुआ खुलासा जलस्रोतों का वजूद मिटने से नहीं रोका जा रहा है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Thu, 02 Sep 2021 10:22 AM (IST)Updated: Thu, 02 Sep 2021 10:22 AM (IST)
पटना हाईकोर्ट की सख्‍ती के बावजूद जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की कैमूर में पहल हो रही असफल
जलस्रोत के पिंड पर बांधे गए मवेशी। जागरण।

संवाद सूत्र, रामगढ़ (भभुआ)। रामगढ़ प्रखंड में अपना वजूद खो रहे तालाबों की नई जिंदगी की आस धूमिल होती दिख रही है। जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की सरकारी कवायद अधिकारियों की उदासीनता से असफल हो गई है। वहीं जलस्रोतों को ढूंढने व मृत प्राय हो चुके जलस्रोतों को नई जिंदगी देने के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है। बावजूद जलस्रोतों का वजूद मिटने से नहीं रोका जा रहा है।

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न्यायालय के निर्देश के आलोक में सरकार द्वारा जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने का फरमान जारी किया गया। यहां तक कि गांव के कुआं भी ढूंढ निकाल उसका जीर्णोद्धार होगा। लेकिन सच तो यह है अंचलाधिकारी के स्तर से रामगढ़ में इस दिशा में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। ऐसी स्थिति में आहर पईन, तालाब, पोखर के साथ गांव में पड़ी गड़ही आदि जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की बात ही बेमानी लग रही है।

शासन-प्रशासन द्वारा जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने की दिशा में कार्रवाई हो गई है लेकिन किन किन तालाबों को इसके श्रेणी में रखा गया है इससे अंचल कार्यालय पूरी तरह से बेफिक्र नजर आ रहा है। जिस डरवन के ऐतिहासिक तालाब पर चार माह पहले से ही अतिक्रमणवाद चलाए जाने की बात अंचल द्वारा चल रही है वह पड़ताल में पूरी तरह गलत साबित हुई। जागरण के द्वारा जब इसकी पड़ताल हुई तो पहले से भी इस तालाब पर ज्यादा अतिक्रमण हो गया है।

तालाब के दो तरफ पिंड पर लोगों का आशियाना बन गया है और शेष हिस्सा पर मवेशी बांधे जा रहे हैं। किनारे से स्कूल जाने वाला रास्ता भी बाधित है। मवेशियों को पेड़ों में बांधने से मनरेगा द्वारा लगाया गया सब पौधा भी नष्ट हो रहा है। ऐसी स्थिति प्राय: हर जगह के जलस्रोतों की है। रही बात गांव में प्राकृतिक आपदाओं में सहायक होने वाली गड़ही व पईन की तो इसे सरकारी मुलाजिमों द्वारा बंदोबस्त कर दिया गया।

रामगढ़ में प्रथम फेज में 43 जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने के प्रशासनिक पहल हुई। इसमें 35 जलस्रोतों को अतिक्रमणमुक्त कराने का कागजी दावा किया गया है। अन्य पर अतिक्रमणवाद की कार्रवाई चल रही है। लेकिन कौन-कौन तालाब को अतिक्रमण मुक्त किया गया है। इसकी जानकारी अंचलाधिकारी को नहीं है। यही है रामगढ़ में जलस्रोतों के अतिक्रमण मुक्त कराने का सच।


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