देसी विदेशी कलाकारों ने सुर से बाधां समां
बौद्ध महोत्सव की आखिरी सास्कृतिक संध्या पर कालचक्र मैदान देशी विदेशी कलाकारों के सुर लय ताल व स्वरलहरियों से गुंजायमान रहा। समापन संध्या की मुख्य आकर्षण हॉलीवुड की गायिका पलक मुच्छल रही। मुच्छल ने अपने गायकी की शुरुआत तू ही ये मुझको बता दे चाहु या ना.. से की।
गया। बौद्ध महोत्सव की आखिरी सास्कृतिक संध्या पर कालचक्र मैदान देशी विदेशी कलाकारों के सुर लय ताल व स्वरलहरियों से गुंजायमान रहा। समापन संध्या की मुख्य आकर्षण हॉलीवुड की गायिका पलक मुच्छल रही। मुच्छल ने अपने गायकी की शुरुआत तू ही ये मुझको बता दे चाहु या ना.. से की। उसके बाद एक से बढ़कर एक हिट प्रस्तुति दी। तेरे नाम से जी लू, तेरे नाम से मर जाऊं, तेरी दीवानी गाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुच्छल फिर अपने भाई पलाश के साथ कई युगल गीत दर्शकों के देर रात तक बौद्ध महोत्सव के पंडाल में बाधे रखा।
इसके पहले बौद्ध महोत्सव के समापन सत्र के सास्कृतिक संध्या की शुरुआत राजन सिजुआर के गायन और प्राची पल्लवी साहू के कथक नृत्य से हुई। उसके बाद पंडित सुखदेव प्रसाद मिश्रा ने वायलिन वादन किया और वादन पर मोनालिशा रॉय ने नृत्य की। कंबोडिया के कलाकारों ने आकर्षक वेषभूषा में पारंपरिक नृत्य पेश किए जो वर्षा को लेकर खुशियों और फसल कटाई पर आधारित और मयूर नृत्य प्रस्तुत किए। थाईलैंड के कलाकरों ने चार अलग अलग क्षेत्रों के नृत्य को समायोजित कर प्रस्तुत किया। भूटान के कलाकारों ने मुखौटा नृत्यए लॉव पीडीआर के कलाकारों ने आत्म रक्षार्थ कला की प्रस्तुति दी। महिला कलाकारों ने नृत्य प्रस्तुत किए। रमिंदर खुराना ने बुद्ध वंदना ओडिसी नृत्य के तहत की। म्यामार व श्रीलंका के कलाकारों ने आकर्षक प्रस्तुति दी। दर्शकों ने सभी कलाकारों का तालिया बजाकर हौसला अफजाई किया।