कैमूर में डीएपी खाद की डिमांड खत्म, किसान अब यूरिया के लिए लगा रहे दौड़
डीएपी खाद की किल्लत दिसंबर माह के अंत में जाकर खत्म हुई। जबकि 15 दिसंबर तक ही रबी की बोआई का अंतिम समय है। पिछड़ती हुई खेती के अनुमानों के बीच किसान डीएपी खाद की खरीदारी कर गेहूं की बोआई लेट लतीफ कर रहे हैं।
संवाद सूत्र, रामगढ़ (भभुआ)। डीएपी खाद की किल्लत दिसंबर माह के अंत में जाकर खत्म हुई। वहीं, 15 दिसंबर तक ही रबी की बोआई का अंतिम समय है। पिछड़ती हुई खेती के अनुमानों के बीच किसान डीएपी खाद की खरीदारी कर गेहूं की बोआई लेट लतीफ कर रहे हैं। अब इस खाद की मांग घट गई। यूरिया खाद की डिमांड बढ़ गई है। 15 नवंबर तक गेहूं की बोआई करने वाले किसानों के खेत में गेहूं का पटवन शुरू हो गया है। ऐसे में दो दिन बाद उन्हें यूरिया खाद की दरकार होगी। लेकिन बाजार से यूरिया पूरी तरह गायब है, जबकि रात के अंधेरे में ट्रैक्टर पर भारी मात्रा में इफ्को यूरिया खाद लोड कर रामगढ़ से पूर्वी इलाके में गई। वह खाद तीन चार किसान लिए थे। पूछने पर कुछ भी बताने से परहेज बरतते हुए ट्रैक्टर लेकर निकल लिए।
बिस्कोमान भवन में भी यूरिया खाद नहीं है। यूरिया के 40-50 बोरे पड़े हैं तो उस पर कोई और दावेदार बताया जाता हैं। डेढ़ महीने से यूरिया खाद का ट्रांजेक्शन होने की बात बिस्कोमान भवन करता है। पर्ची कटी है। कौन इसको लेने वाला है यह बताने में विभाग असफल हो जा रहा है। बाजार में सिंह खाद भंडार द्वारा जिले को आवंटित एक हजार बैग यूरिया में रामगढ़ को 280 बोरी यूरिया मिलने की बात बता रहे हैं तथा कह रहे हैं कि बाजार के तीन दुकानदारों के यहां 30-30 बोरी यूरिया खाद दी गई। लेकिन किसके यहां से कितनी बोरी यूरिया खाद दी गई यह बताने को तैयार नहीं। अब यूरिया खाद को लेकर मारामारी की नौबत आ सकती है।
बिस्कोमान से लेकर बाजार यूरिया खाद के लिए टकटकी लगाए हुआ है। छिटफुट यूरिया आ भी रही है तो वह बाजार में आते ही खत्म हो जा रही है। खाद के थोक विक्रेता सिंह खाद भंडार के प्रोपराइटर सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि यूरिया खाद का घोर संकट है। खाद ऊपर से नहीं आ रही है। पहली बार इतनी बड़ी मुश्किल के दौर से खाद के लिए गुजरना पड़ रहा है। बिस्कोमान भवन के मैनेजर अजय सिंह कहते हैं कि यूरिया खाद की रैक लगने से संबंधित कोई रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।