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दाउदनगर अनुमंडलीय अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन के 80 चैनल लगे, अब 38 और लगाने की तैयारी

औरंगाबाद जिले के दाउदनगर अनुमंडलीय अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन की अच्‍छी व्‍यवस्‍था हो गई है। अब तक 80 चैनल लगाए जा चुके हैं। 38 और लगाने की तैयारी है। इससे हर बेड पर आपूर्ति हो सकेगी। इससे मरीजेां को काफी राहत होगी।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 11:03 AM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 11:03 AM (IST)
दाउदनगर अनुमंडलीय अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन के 80 चैनल लगे, अब 38 और लगाने की तैयारी
अनुमंडलीय अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन की व्‍यवस्‍था। जागरण

उपेंद्र कश्यप, दाउदनगर (औरंगाबाद)।  ऑक्सीजन के मामले में दाउदनगर अनुमंडल अस्पताल में स्थिति काफी बेहतर है। अनुमंडलीय अस्‍पताल में ऑक्‍सीजन आपूर्ति के 80 चैनल एक माह पूर्व ही लगाए गए थे। कोविड-19 के पहले फेज के बाद बदली परिस्थिति में यहां ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई। अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ राजेश कुमार सिंह ने 38 चैनल और लगाने की मांग की है ताकि पूरा अस्पताल ही ऑक्सीजन आपूर्ति से कवर हो जाए। यहां हर बेड पर ऑक्सीजन आपूर्ति देने की तैयारी की गई है। यहां 30 ऑक्सीजन सिलेंडर स्थाई रूप से रखे हुए हैं और इसके अलावा ऑक्सीजन बनाने का प्लांट भी तैयार है जिसे चालू किया जाना शेष है। प्रत्येक वार्ड में ऑक्सीजन का चैनल लगाया गया है।

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कोविड केयर सेंटर में 20 ऑक्सीजन सिलेंडर

एसडीएच से 10 ऑक्सीजन सिलेंडर और 10 औरंगाबाद से लाकर 20 ऑक्सीजन सिलेंडर डायट तरार स्थित कोविड केयर सेंटर में रखा गया है। चार ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी वहां इस्तेमाल किया जा रहा है। उपाधीक्षक डॉ राजेश कुमार सिंह ने बताया कि अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में तीन, रिकवरी रूम में 5, लेबर रूम में दो, एनबीएसयू में तीन, आपात के लिए तीन चैनल लगाए गए हैं। एक ओटी में और एक आपात के लिए रिजर्व रखा गया है, जहां से कई चैनल निकल सकते हैं। भाजपा के जिला प्रवक्ता अश्विनी तिवारी का कहना है कि सरकार हर संभव सुविधा व संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है ताकि महामारी से निपटा जा सके। मरीजों को अधिक से अधिक लाभ हो सके। आम व्यक्ति अस्पताल में ही इलाज कराने जा रहे हैं, हालांकि तब भी सुधार की जरूरत है।

अस्पताल में डॉक्टर व स्टाफ की कमी

अनुमंडल अस्पताल का बहुत बड़ा भवन है। यह अनुमंडल के मरीजों का इलाज करने में सक्षम भी है, लेकिन मानव संसाधन के अभाव में यहां सन्नाटा पसरा रहता है। एसडीएच 75 बेड का बनाया गया है लेकिन आज तक कभी 75 बेड पर मरीज नहीं दिखे। डॉक्टर के यहां 35 पद हैं इसमें मात्र 9 पदस्थापित हैं जबकि सेवा दे रहे हैं मात्र 6 चिकित्सक। इसी तरह जीएनएम के 50 पद हैं और कार्यरत मात्र 23 हैं। यदि मानव संसाधनों की कमी राज्य सरकार दूर कर दे तो यह अनुमंडल का ही नहीं बल्कि सीमावर्ती जिला अरवल के भी बड़े इलाके के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा सुचारू रूप से बिना परेशानियों के उपलब्ध कराने में सक्षम बन जाएगा।


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