Cyclone Yaas Alert! यास की बारिश से घटेगी मूंग की उपज तो फलों के राजा आम की बढ़ेगी मिठास
चक्रवाती तूफान यास के कारण हो रही बारिश का खेतीबारी पर मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है। गेहूं की कटाई के बाद ज्यादातर खेत अभी परती हैं। हालांकि कुछ खेतों में अभी गरमा मूंग लगे हुए हैं। उन मूंग की खेती के लिए यह पानी नुकसान पहुंचा सकता है।
जागरण संवाददाता, गया। चक्रवाती तूफान यास से जिले में हो रही बारिश का खेतीबारी पर मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है। गेहूं की कटाई के बाद ज्यादातर खेत अभी परती हैं। हालांकि कुछ खेतों में अभी गरमा मूंग लगे हुए हैं। उन मूंग की खेती के लिए यह पानी नुकसान पहुंचा सकता है। जिले की खेतों में 90 फीसद तैयार मूंग की फसल को अभी गर्मी की जरूरत है, ताकि उसके दाने पुष्ट हो।
10 से 12 दिनों में इनकी तोड़ाई होने वाली है। लेकिन प्रकृति का खेल ऐसा है कि यहां दिन-रात बारिश हो रही है। ऐसे में उसके फलन पर काफी असर पड़ सकता है। जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो ने बताया कि अभी जो बारिश हो रही है उससे मिला-जुला असर पड़ेगा। थोड़ा बहुत जो नुकसान होगा वह मूंग की पैदावार पर पड़ेगा। मूंग की फसल को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। यदि अधिक बारिश हो जाए तो मूंग के दाने कमजोर हो जाते हैं। उपज प्रभावित होती है। बारिश से मूंग के पौधों का अधिक विकास हो जाएगा।
यह उस खेत के लिए फायदेमंद है। धान की रोपनी से पहले कादो करते समय मूंग की लत्तड़ के साथ कादो करने से खेत को जैविक यूरिया प्राप्त हो जाती है। मूंग की खेती को हरी खाद के रूप में भी उपयोग किया जाता है। इधर, बारिश से आम की फसल को लेकर जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि आम की फलों में मिठास आएगी। अभी तेज हवा नहीं चली है। लिहाजा आम की फसल के गिरने की बहुत शिकायत नहीं है।
हां, यदि जोर की हवा चलेगी तो आम पेड़ों से गिरेंगे। लेकिन अभी ऐसा नहीं हुआ है। बारिश से हरी सब्जी की खेती थोड़ी बहुत प्रभावित हो सकती है। किसानों से कहा गया है कि वे सब्जी लगे खेत में पानी नहीं लगने दें। सब्जी लगे खेतों में अधिक बारिश होने से उनके पौधों के गलने की संभावना रहती है। फल भी कम निकलते हैं।
रोहणी शुरू, बिचड़ा गिराने में नहीं करें जल्दबाजी
25 मई से रोहणी नक्षत्र शुरू हो गई है। इसके साथ ही किसान खरीफ सीजन की खेती में जुट जाते हैं। हालांकि गया जिले में देर से बुआई की परंपरा रही है। जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि अभी बिचड़ा गिराने की जल्दबाजी नहीं करनी है। अभी की जो बरसात है वह देर तक नहीं रहेगी। 30 के बाद फिर से गर्मी बढ़ेगी। वैसे जो किसान बिचड़ा लगाना चाहते हैं वह लंबी अवधि का बिचड़ा सोच समझकर जरूर लगा सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि जिले में ज्यादातर किसान मध्यम अवधि के ही धान लगाते हैं। जिसके लिए सप्ताह-दस दिन बाद भी बिचड़ा गिराया जा सकता है।
बारिश से खेतों में नमी लौटेगी, जुताई करना आसान होगा
अभी की जो बारिश हो रही है उससे मिट्टी हल्की हो गई है। ऐसे में जब किसान धान की खेती के लिए अपने खेतों की जुताई करेंगे तो किसानों को मदद मिलेगी। अमूमन सूखी जमीन में ट्रैक्टर या हल चलाने में किसानों को दिक्कत होती है। लेकिन अभी की बारिश की मिट्टी पूरी तरह से नमी युक्त हो गई है। जो आगामी खरीफ सीजन के नजरिए से लाभप्रद है।