जलवायु परिवर्तन से मानसून के ढर्रे में आया बदलाव, दक्षिण बिहार के आठ जिलों में भूजल दोहन में बढ़ोतरी
बिहार के 10 में से आठ जिला जो सूखा प्रभावित है वह दक्षिण बिहार का ही जिला है। इसमें कैमूर रोहतास औरंगाबाद बक्सर भोजपुर जहानाबाद पटना और गया है। इन आठ जिलों में 2011 से लगातार भूजल दोहन बढ़ रहा है।
जागरण संवाददाता, बोधगया (गया)। बिहार के 10 में से आठ जिला जो सूखा प्रभावित है, वह दक्षिण बिहार का ही जिला है। इसमें कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, बक्सर, भोजपुर, जहानाबाद, पटना और गया है। इन आठ जिलों में 2011 से लगातार भूजल दोहन बढ़ रहा है। दक्षिण बिहार के जिलों में 2013-2017 तक के सर्वे बताते हैं कि भूजल दोहन में बढ़ोतरी हुई है। जलवायु परिवर्तन की वजह से मानसून के ढर्रे में बदलाव आया है। इसकी वजह से दक्षिण बिहार में बहने वाली नदियों से निकलने वाली नहरों में पानी का भारी अभाव आया है। उक्त बातें रविवार को बोधगया के एक होटल में जलवायु अभाव और प्रभाव पर मगध मीडिया द्वारा आयोजित कार्यशाला में लेखक व पर्यावरणविद सोपान जोशी ने कही।
कार्यक्रम मीडिया कलेक्टिव फ़ॉर क्लाइमेट इन बिहार के बैनर तले सीआरडी ट्रस्ट बिहार के सहयोग से आयोजित किया गया था। जोशी ने कहा कि दक्षिण बिहार के इन जिलोें में 58 प्रतिशत धान और 37.5 प्रतिशत गेंहू की फसलें होती है। दोनों फसल की सिंचाई में पानी अधिक लगती है, पानी के अभाव का प्रभाव इन पर पड़ने लगा है। पिछले तीन दशक में बिहार में वर्षा के मौसम में वर्षा अवधि 55 दिनों से घटकर 37 दिनों की हो गयी है। भूजल आंकलन में दक्षिण बिहार में सन 2013- 2017 में सुरक्षित इलाकों की संख्या 39 से घटकर दो पर आ गयी है। जिन इलाकों में स्थिति चिंताजनक हुई है, उनकी संख्या आठ से बढ़कर 25 हो गयी है।
वहीं छह इलाकों में संकट गहरा गया है। अहर-पईन की उपेक्षा की जा रही है। उसके स्थान पर जो वैकल्पिक व्यवस्था खेती के लिए अपने जाए रही है वह नाकाम ही हो रही है। कार्यशाला को मगध जल जमात के डॉ. रवींद्र पाठक ने मगध क्षेत्र की स्थानीय पर्यावरण संबंधी संकटों की जानकारी दी। पर्यावरणविद एवं पत्रकार गोपाल कृष्ण ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संदर्भों की जानकारी दी। असर संस्था के मुन्ना कुमार झा ने तथ्यों और आंकड़ों के जरिये मगध के जलवायु संकट की स्थिति को साफ किया।