Campaign: रोहतास में अभियान चला टीबी मरीजों की होगी खोज, घर-घर जाकर पहचान करेंगे स्वास्थ्यकर्मी
जिला टीबी नोडल डा. राकेश कुमार ने कहा विभाग वर्ष 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त करने को ले विभाग प्रतिबद्ध है। पहले के मुकाबले मृत्यु दर में काफी कमी आई है। उम्मीद है कि जल्द ही जिले में टीबी पर काबू पा लिया जाएगा।
जागरण संवाददाात, सासाराम। रोहतास जिले को टीबी मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। टीबी उन्मूलन की दिशा में समुदाय स्तर पर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में दो सितंबर से एक नवंबर तक टीबी के सक्रिय रोगियों की खोज अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान घर-घर जाकर टीबी के मरीजों की पहचान की जाएगी।
सिविल सर्जन डा. सुधीर कुमार की माने तो कोविड महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए मंत्रालय ने द्वि-दिशात्मक टीबी- कोविड स्क्रीनिंग की सिफारिश की गई है। कहा कि कोविड-19 महामारी ने टीबी के मामलों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। केस फाइंडिंग गतिविधियों को तेज करके और सभी पात्र टीबी रोगियों को उचित प्रोत्साहन प्रदान कर टीबी अधिसूचना और पोषण योजना (एनपीवाई) भुगतान को और बढ़ाने की आवश्यकता है।
टीबी मरीजों को प्रोत्साहन राशि
चिकित्सा पदाधिकारी की माने तो विभाग की ओर से टीबी मरीजों को खुराक भत्ता भी दिया जाता और मरीज को जो अस्पताल तक पहुंचाता है, उसे भी 500 रुपये मेहनताना दिया जाता है। एक्टिविटी के तहत विभाग की ओर से सर्वे और उसके बाद टीबी के मरीजों को ढूंढ कर उनका इलाज और आसपास के लोगों को टीबी को लेकर जागरूक भी किया जाएगा। टीबी रोग इलाज योग्य है, इसलिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है।
टीबी उन्मूलन में जनभागादारी है जरूरी
जिला टीबी नोडल डा. राकेश कुमार ने कहा विभाग वर्ष 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त करने को ले विभाग प्रतिबद्ध है। पहले के मुकाबले मृत्यु दर में काफी कमी आई है। उम्मीद है कि जल्द ही जिले में टीबी पर काबू पा लिया जाएगा। टीबी उन्मूलन में जन भागीदारी बहुत ही जरूरी है। अगर लोग सहयोग करें तो यह बीमारी समय से पहले खत्म हो सकती है।
टीबी का लक्षण दिखे तो जांच कराएं
टीबी का लक्षण दिखे तो जांच आवश्यक कराएं। टीबी का हल्का-सा भी लक्षण दिखे तो जांच कराने स्वास्थ्य केंद्र जाएं। जांच में पुष्टि हो जाने के बाद मुफ्त में दवा मिलेगी। जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था है। साधारण टीबी मरीजों की दवा छह महीने तथा एमडीआर की छह से 20 महीने तक चलती है।