शांति और अहिंसा दिवस के रूप में मनाया गया बुद्ध पूर्णिमा, सत्य के मार्ग पर चलने का लिया संकल्प
भगवान बुद्ध की जीवन-यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाल्यकाल में ही उन्होंने कुछ ऐसी सांसारिक चीजें देखीं कि उनका मन वैराग्य की ओर अग्रसर हो गया और तमाम भौतिक सुखों का त्याग कर मोह-माया की सीमा से परे उठकर उन्होंने जगत कल्याण का मार्ग अपनाया।
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। लॉर्ड बुद्धा पब्लिक स्कूल के सिद्धार्थ सभागार में भगवान बुद्ध के जन्मदिन को शांति और अहिंसा दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में कोविड के गाइड लाइन का पालन किया गया। विद्यालय के निदेशक पुत्र सौरव कुमार, प्राचार्य बीके सिंह एवं एकेडमिक इंचार्ज दिलीप कुमार पंकज ने भगवान बुद्ध के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
संबोधित करते हुए सौरव ने भगवान बुद्ध को शांति और अहिंसा का सबसे बड़ा प्रवर्तक बताया। भगवान बुद्ध की जीवन-यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाल्यकाल में ही उन्होंने कुछ ऐसी सांसारिक चीजें देखीं कि उनका मन वैराग्य की ओर अग्रसर हो गया और तमाम भौतिक सुखों का त्याग कर, मोह-माया की सीमा से परे उठकर उन्होंने जगत कल्याण का मार्ग अपनाया। कहा कि बुद्ध के अनुसार मनुष्य के दुखों का कारण उसकी अनंत इच्छाएं हैं। अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण कर और मध्यम मार्ग अपनाकर मानव सुखद जीवन जी सकता है। प्राचार्य ने कहा कि किसी भी महापुरुष की जयंती मनाने का मकसद यही होता है कि उनके जीवनोपयोगी विचारों को आम जनमानस तक पहुंचाया जाए ताकि सभी उन विचारों को आत्मसात कर समाज और देश के नवनिर्माण में अपना योगदान दे सकें। भगवान बुद्ध की जीवनी पर चर्चा की।
इंचार्ज दिलीप ने लोगों से बुद्ध के विचारों को अपनाने की अपील की। कहा कि आज जब पूरी दुनिया हिंसा की आग में झुलस रही है और तृतीय विश्व युद्ध दस्तक दे रहा है, भगवान बुद्ध के संदेशों की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। शांति की प्राप्ति के लिए अहिंसक बनना होगा और यह तभी संभव है जब लोग बुद्ध के सिद्धांतों को अपनाएंगे और उनके विचारों का अनुसरण करेंगे। विद्यालय के शिक्षक बृजेश कुमार मिश्रा ने भगवान बुद्ध के बताए मार्ग पर चलने की बात कही। शिक्षक रजनीश कुमार, शैलेंद्र कुमार, सुमन राय, रीना विश्वास, सारिका मिश्रा समेत अन्य शिक्षक व शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।