सासाराम के डेहरी प्रखंड में उपजाया जा रहा काला गेहूं, 12 बीमारियों में फायदमेंद, चेहरे पर झुर्रियां भी नहीं पड़ेगी
रोहतास जिले के डेहरी प्रखंड में काले गेहूं की खेती हो रही है। इसे उपज के साथ ही स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी बेहतर माना जाता है। यह 12 तरह की बीमारियों को रोकने में शरीर की मदद करता है।
संस, डेहरी ऑन सोन (रोहतास)। डेहरी प्रखंड के किसानों ने पहली बार काले गेहूं की भी खेती शुरू कर दी है। ृ मथुरी पंचायत अंतर्गत भेड़िया गांव के किसान इसकी खेती कर रहे हैं। यह किसानों की आमदनी बढ़ानेवाला और औषधीय गुण से भरपूर माना जाता है। खास बात यह कि काला गेहूं शुगर फ्री होता है। काला गेहूं उगाने की शुरुआत
यहां के किसान राकेश कुमार सिंह उर्फ अंटु सिंह ने इसकी खेती एक एकड़ में की है। काला गेहूं में सामान्य गेहूं के अनुसार एनथोसाइनिन की मात्रा अधिक होती है। सामान्य गेहूं में पिगमेंट की मात्रा पांच से 15 पीपीएम होती है,जबकि काले गेहूं में पिगमेंट मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है। एनथोसाइनिन एंटीऑनक्सीडेंट का काम करती है। इसमें जिंक की मात्रा भी अधिक होती है। अधिकारियों ने मौके पर पहुंच फसल का जायजा भी लिया।
सामान्य गेहूं से अधिक मिलेगी कीमत
राकेश कुमार सिंह का कहना है कि हमने इस गेहूं को डेहरी के बीज विक्रेता के यहां ऑर्डर देकर मंगवाया था। गेहूं की बोआई 40 से 50 किलो प्रति बीघा की जाती है। गेहूं की पैदावार 12 से 15 क्विंटल प्रति बीघा होती है। वे आर्गेनिक खेती करते हैं। उन्होंने गेहूं की बोआई बिना रसायनिक उर्वरक के ही की है। इसमें वर्मी कंपोस्ट और डब्ल्यूडीसी खाद का उपयोग किया गया है। किसान अगर खाने में इस्तेमाल करते हैं, तो स्वस्थ्य रहेंगे और बेचने पर सामान्य गेंहूं से रेट ज्यादा मिलेगा। बाजार में सामान्य गेहूं 1800 से 2000 रुपये हैं। काला गेहूं बीज में 90 से 170 रुपए किलो बिक रहा है। बाजार में सामान्य तौर पर बेंचेगे तो कम से कम 3500 रुपये प्रति क्विंटल मिल जाएंगे। इस गेहूं को बाजार के बजाए अभी एक किसान से दूसरे किसान को बेचा जाएगा।
इन 12 बीमारियों में है फायदेमंद, चेहरे की चमक भ्ाी रखेगा बरकरार
कृषि अधिकारी के अनुसार काला गेहूं साधारण गेहूं से ज्यादा पौष्टिक होता है। यह गेहूं कैंसर, शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्रोल, दिल की बीमारी, तनाव समेत 12 बीमारियों को दूर करने में मददगार साबित होगी। वैज्ञानिकों ने रिसर्च कर गेहूं के बारे में बताया है कि खाना खाने के बाद जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन किसी अन्य पदार्थ के साथ मिलकर फ्री रेडिकल्स बनाते हैं। इससे त्वचा को नुकसान होता है, त्वचा सुकुड़ने लगती है और लोगों पर जल्द बुढ़ापा का चिह्न नजर आने लगता है। लेकिन काले रंग के गेहूं से अधिक उम्र में पड़ने वाली झुर्रियां भी जल्द नहीं दिखाई देगी। कैंसर से भी बचाता है।
इसके इस्तेमाल से बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
इस संबंध में प्रखंड कृषि पदाधिकारी अशोक प्रियदर्शी ने बताया कि काले गेहूं पर नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट नाबी मोहाली पंजाब ने रिसर्च किया है। कृषि वैज्ञानिक डॉ. मोनिका गर्ग ने 2010 से रिसर्च के बाद काला गेहूं तैयार किया था। इसलिए इस गेहूं का नाम भी नाबी एमजी रखा है। इस गेहूं के इस्तेमाल से रोधक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।