ज्ञान और मोक्ष की नगरी गया में पार्टी के प्रदर्शन पर मंथन कर रही भाजपा, दो सीटों पर जीते अौर दो पर हारे पार्टी उम्मीदवार
गया जिले की दस विधानसभा सीटों में से चार पर भाजपा के प्रत्याशी चुनाव लड़े। इनमें से दो पर पार्टी को जीत मिली। जहां जीत मिली वहां वोट का प्रतिशत काफी कम रहा। अब पार्टी अपने प्रदर्शन पर मंथन कर रही है।
जेएनएन,गया। विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार का गठन भी हो चुका है। मंत्री भी पद संभाल चुके हैं। अब पार्टियां अपने प्रदर्शन पर मंथन कर रही है। इस क्रम में भारतीय जनता पार्टी जिले में मिली हार पर विमर्श कर रही है। इनमें वैसे विधानसभा क्षेत्र जहां पार्टी दूसरे स्थान पर रही या फिर वहां जहां जीत तो मिली लेकिन वोट प्रतिशत कम रहा, को ध्यान में रखकर चर्चा की जा रही है।
ज्ञान की नगरी में फिफ्टी-फिफ्टी रहा प्रदर्शन- गया जिले में 10 विधानसभा हैं जहां एनडीए की प्रमुख सहयोगी पार्टी भाजपा 4 सीटों पर विधान सभा का चुनाव लड़ी थी। इसमें प्रदर्शन फिफ्टी-फिफ्टी रहा। दो सीटों पर कांटे के संघर्ष के बाद जीत मिली तो दो सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। भाजपा ने शहरी विधानसभा और वजीरगंज विधानसभा में जीत दर्ज की है जबकि बोधगया और गुरुआ विधानसभा में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। गौर करने की बात है कि गुरुआ विधानसभा सीट भाजपा ने गंवाई। इसपर महागठबंधन की लहर में भी 2015 में भाजपा प्रत्याशी जीते थे। लेकिन राजद ने उससे यह सीट छीन ली। इसे लेकर सबसे ज्यादा मंथन पार्टी में चल रहा है। यहां से 2015 में राजीव नंदन दांगी जीते थे। पार्टी सूत्रों की माने तो पार्टी में अंतरकलह और विरोध के बाद भी सिटिंग विधायक को उम्मीदवार बनाया गया। शायद यही वजह है कि इस बार कार्यकर्ताओं का साथ उन्हें नहीं मिला।
दूसरी ओर अगर बोधगया कि बात करें तो 2015 में राजद के कुमार सर्वजीत विधायक चुने गए थे। उन पर 2020 में भी पार्टी ने भरोसा जताया। कोरोना पॉजिटिव हो गए कुमार सर्वजीत को बोधगया विधानसभा के मतदाताओं ने पसंद किया। उनके सामने भाजपा के पूर्व सांसद हरि मांझी थे। लेकिन वोटरों ने उन्हें नकार दिया।
जहां जीते वहां वोट प्रतिशत घटा- अगर शहरी विधानसभा की बात करें तो यहां भाजपा को जीत मिली है। लेकिन प्रतिद्वंदी कांग्रेस के उम्मीदवार का वोट प्रतिशत बढ़ा है इसे लेकर भाजपा चिंतित है। पार्टी सूत्रों के अनुसार शहरी विधानसभा से पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री डॉ प्रेम कुमार को जीत मिली है लेकिन वोट का अंतर बहुत ही कम है उसे लेकर भी पार्टी मंथन कर रही है। वहीं दूसरी ओर वजीरगंज विधानसभा जो 2015 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास से इस बार 2020 में भाजपा के उम्मीदवार विरेंद्र कुमार सिंह ने जीत दर्ज की है। उन्हें जीत तो मिली है लेकिन वोट का प्रतिशत कम दिख रहा है इस पर भी पार्टी मंथन करने जा रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार दिसंबर के प्रथम सप्ताह में मंथन होने वाला है। फिलहाल पार्टी अभी चार सीटों के बाद चुनाव के बाद गया जिले के 6 विधानसभा में भी एनडीए के उम्मीदवार की भी समीक्षा होगी। वहां वोट प्रतिशत का भी आकलन जल्दी मंथन कर किया जाएगा।