गया के नक्सल प्रभावित इलाके के दो लड़कियों सहित आठ युवा बनें दारोगा, नक्सलियों पर कसेंगे लगाम
गया जिले के फतेहपुर प्रखंड के युवाओं ने सीमित साधनों व सेल्फ स्टडी के बूते दारोगा परीक्षा में सफलता हासिल की है। इन नक्सल प्रभावित इलाकों में हाई स्कूल भी 15 किमी दूर है। ऐसे में लड़कियों ने शादी व बच्चों की जिम्मेदारी के साथ सफलता का परचम फहराया है।
फतेहपुर(गया), संवाद सूत्र। गया जिले के नक्सल प्रभावित फतेहपुर प्रखंड के युवाओं ने दारोगा की परीक्षा में सफलता की बेजोड़ मिसाल पेश की है। इन क्षेत्रों से दो युवती समेत आठ का चयन दारोगा के पद पर हुआ है। दारोगा पद पर चयनित कई अभ्यर्थियों के गांव में पहले राइफल एवं गोली की तड़तड़ाहट के कारण भय का माहौल था। अब यहां शिक्षा का उजियारा है। हालांकि नक्सलियों की धमक आज भी इन क्षेत्रों में दिख जाती हैं। इन गांवों मे उच्च विद्यालय नहीं रहने के कारण 15 किलोमीटर की सफर तय कर फतेहपुर या कांटी जाना पड़ता हैं। ऐसे कठिन परिस्थिति में भी ग्रामीण क्षेत्रों के इन युवाओं ने सीमित संसाधन में सेल्फ स्टडी कर सफलता का परचम लहराया। सफल होने वाले अधिकतर प्रतिभागी गरीब एवं निर्धन परिवार से आते हैं।
शादी व बच्चा होने के बाद बनीं दारोगा
प्रखंड के गोली की बुधन पासवान की पुत्री रीमा कुमारी के गांव में दो साल पहले तक पक्की सड़क नहीं थी। इस दौरान उसकी शादी हुई एक बच्चे की मां बनी। पर, उनके मन में कुछ अलग करने की चाहत थी। उन्होंने गांव में ही दोस्तों के साथ सेल्फ स्टडी करने का ग्रुप बनाया और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। पहले प्रयास में दरोगा की परीक्षा पास कर ली। अब पुलिस अफसर बनकर अन्य के लिए भी प्रेरणा बनी हैं।
वहीं मचरक निवासी सियाशरण पासवान के पुत्र परमानन्द पासवान का चयन भी अन्य युवाओं को उत्साहित करनेवाला है। पिता फतेहपुर थाना में चौकीदार है। बेटे की सफलता पर काफी खुश हैं। परमानन्द की प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई।
प्रखण्ड के पिडरी सरदारपुर के किसान जानकी रविदास के पुत्र उमेश कुमार की सफलता भी पत्थर पर दूब उगाने जैसा है। निरक्षर पिता ने अपने दोनों बच्चों की शिक्षा के लिए दिन रात मेहनत किया। बेटों की मेहनत ने आज उनका सिर उंचा कर दिया है। बड़े बेटे रमेश का चयन एसएसबी में हुआ। वही छोटा बेटा उमेश दरोगा बना। दोनों की प्रारंभिक शिक्षा सरकारी स्कूल में ही हुई है।
राजू और खुर्शीद ने साथ की तैयारी, बने दारोगा
फतेहपुर निवासी भोला यादव के पुत्र राजू यादव एवं दौनैया निवासी सलीम अंसारी के पुत्र खुर्शीद अंसारी की दोस्ती दरोगा चयन में भी साथ रहीं। दोनों ने फतेहपुर में ही रहकर सेल्फ स्टडी के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की । दो साल पहले राजू का चयन जेल पुलिस में हुआ। छुट्टी पर आने के बाद उसने खुर्शीद की मदद की, अब उसने भी दारोगा भर्ती परीक्षा पास कर ली है। दोनों की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई है।
इन्होंने भी पाई सफलता
वहीं फतेहपुर निवासी साधो शरण की पुत्री शिवानी, बदउवा निवासी संजीत कुमार एवं डिहुरी के दर्पण सुमन सभी ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। अपनी मेहनत के बदौलत संजीत का चयन पहले रेलवे में हुआ। वहीं दर्पण सुमन पटना पुलिस में नियुक्त है। वहीं सुमन एक बेहतर भोजपुरी गायक भी हैं। दोनों की शिक्षा सरकारी स्कूल में ही हुई। सिर्फ शिवानी ही दारोगा के पद चयनित होने वाली पहली प्रतिभागी है, जिसकी प्रराभिक शिक्षा सीबीएसई से हुई।