Move to Jagran APP

Bihar Pitru Paksha 2021: ज्ञानभूमि पर उमड़ी सनातनी पिंडदानियों की भीड़, गूंजा पूर्वजों का जयकारा

भगवान बुद्ध की ज्ञानभूमि बोधगया में अनादि काल से पिंडदान का विधान चलता आ रहा है। सनातनी पिंडदानी धर्मारण्य मातंगवापी और महाबोधि मंदिर में पूर्वजों के मोक्ष की कामना को लेकर पितृपक्ष के तृतीया तिथि को पिंडदान करते हैं।

By Prashant KumarEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 05:23 PM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 05:23 PM (IST)
Bihar Pitru Paksha 2021: ज्ञानभूमि पर उमड़ी सनातनी पिंडदानियों की भीड़, गूंजा पूर्वजों का जयकारा
गया में पिंडदान करते दंपती। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, बोधगया (गया)। भगवान बुद्ध की ज्ञानभूमि बोधगया में अनादि काल से पिंडदान का विधान चलता आ रहा है। सनातनी पिंडदानी धर्मारण्य, मातंगवापी और महाबोधि मंदिर में पूर्वजों के मोक्ष की कामना को लेकर पितृपक्ष के तृतीया तिथि को पिंडदान करते हैं और मुहाने नदी के तट पर स्थित सरस्वती पिंडवेदी पर तर्पण करते हैं। गुरुवार को काफी संख्या में पिंडदानी सूर्योदय के साथ ही अपनी सुविधा के अनुसार इन पिंडवेदियों पर पहुंचने लगे थे। जहां परंपरागत तरीके से पिंडदान का विधान कर अपने पूर्वजों की याद में जयकारा लगाया। सरस्वती पिंडवेदी पर इक्का-दुक्का ही तीर्थ यात्री पहुंच रहे थे। यहां होने वाले तर्पण के विधान को धर्मारण्य वेदी के समीप मुहाने नदी में पूरा करते हैं।

loksabha election banner

हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौंवा अवतार माना जाता है। इस कारण महाबोधि मंदिर स्थित बोधिवृक्ष को पिंडवेदी मानकर यहां पिंडदान करने की पुरानी परंपरा है। पितृपक्ष के दौरान महाबोधि मंदिर परिसर सनातनी मंत्रोच्चार से गुंजायमान रहता है। मंदिर में प्रवेश को लेकर तीर्थ यात्रियों की लंबी कतार लगी थी। एक-एक कर सुरक्षा जांच के पश्चात तीर्थ यात्रियों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा था। मंदिर परिसर स्थित मुचङ्क्षलद सरोवर क्षेत्र में मंदिर प्रबंधकारिणी समिति द्वारा व्यवस्था किया जाता है। यहां पिंडदान करने के पश्चात पिंडदानी मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध का दर्शन करते हैं।

स्कंध पुराण के अनुसार, महाभारत युद्ध के दौरान जाने-अनजाने में मारे गए लोगों के आत्मा की शांति व पश्चाताप के लिए धर्मराज युधिष्ठिर ने धर्मारण्य पिंडवेदी पर यज्ञ का आयोजन कर पिंडदान किया था। यहां पिंडदानी पिंडदान का विधान संपन्न कर पिंड का अष्टकमल आकार के बने कूप में विसर्जित करते हैं। धर्मारण्य वेदी परिसर स्थित अरहट कूप में त्रिपिंडी श्राद्ध के पश्चात प्रेत बाधा से मुक्ति हेतु नारियल छोड़कर अपनी आस्था को पूर्ण करते हैं। धर्मारण्य वेदी से कुछ दूर पश्चिम दिशा में मातंगवापी वेदी है। यह मातंग ऋषि की तपोभूमि है। इस स्थान का उल्लेख अग्नि पुराण में है। पिंडदानी यहां भी पिंडदान का विधान कर पिंड को जटाशंकर पर पिंड अर्पित कर मातंगेश्वर शिव का दर्शन व पूजन करते हैं।

नहीं दिखी सुरक्षा व्यवस्था

पितृपक्ष के दौरान हर वर्ष बोधगया के पिंडवेदियों पर सुरक्षा का व्यवस्था को लेकर पुलिस बल और दंडाधिकारी की तैनाती होती थी। लेकिन इस वर्ष पिंडवेदियों पर न तो दंडाधिकारी और ना ही पुलिस बल की तैनाती दिखी। नतीजतन पिंडवेदियों तक पहुंच मार्ग में सभी को जाम का सामना करना पड़ा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.