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Bihar Crime: पारिवारिक कलह के कारण औरंगाबाद में तीन बेटियों के साथ माता-पिता ने खाया जहर

जान देना किसी समस्‍या का हल नहीं है। मृत्‍यु सत्‍य है मगर इस पर विजय वही पाता है जो जिंदगी के संघर्ष को भी साथी बनाकर चलता है। लेकिन लोग जरा-जरा सी बात पर जान देने और जान लेने के लिए आमादा रहते हैं। ताजा मामला औरंगाबाद का है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 04:22 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 04:22 PM (IST)
Bihar Crime: पारिवारिक कलह के कारण औरंगाबाद में तीन बेटियों के साथ माता-पिता ने खाया जहर
तीन बेटियों के साथ माता-पिता ने खाया जहर। जागरण आर्काइव।

संवाद सूत्र, रफीगंज (औरंगाबाद)। जान देना किसी समस्‍या का हल नहीं है। मृत्‍यु सत्‍य है मगर इस पर विजय वही पाता है, जो जिंदगी के संघर्ष को भी साथी बनाकर चलता है। लेकिन, लोग जरा-जरा सी बात पर जान देने और जान लेने के लिए आमादा रहते हैं। ताजा मामला औरंगाबाद का है। एक व्‍यक्ति आत्‍मघाती कदम उठाने के साथ पूरे परिवार की जान से खेल बैठा। पौथु थाना क्षेत्र के सबदल गांव में मंगलवार की रात सविंदर पासवान एवं उनकी पत्नी बेबी देवी के बीच हुई नोकझोंक परिवार के लिए बेहद काफी खतरनाक साबित हुआ। तीन बेटियों के साथ माता-पिता ने जहर खा लिया। इसमें पिता की मौत हो गई।

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जानकारी के अनुसार, सविंदर पत्नी से झगड़ा कर घर से बाहर आया और थोड़ी देर बाद फिर घर लौट आया। घर आते ही नशीला पदार्थ खा लिया। इसे उसकी पत्नी बेबी देवी ने देख लिया तो स्वयं भी उससे छीनकर खा ली। उसके बाद थोड़ा-थोड़ा अपने तीनों बेटी को खिला दिया। नशीला पदार्थ खाते ही सबों की स्थिति खराब होने लगी तो पास के जगत शर्मा ने अपने वाहन से तत्काल सभी को इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन, स्थिति चिंताजनक होने के कारण सभी को प्राथमिक उपचार के बाद वहां से रेफर कर दिया गया।

परिवार के सभी सदस्यों को जमुहार मेडिकल कालेज में भर्ती कराया। वहां, सविंदर पासवान का इलाज के दौरान मौत हो गई। उसकी पत्नी बेबी देवी, पांच वर्षीय पुत्री सविता कुमारी, तीन वर्षीय पुत्री स्नेहा कुमारी व एक वर्षीय पुत्री नेहा कुमारी इलाज के बाद स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। घर एवं गांव में मातम पसरा है।

बेबी अब बेबस हो चुकी है, अब कैसे वह तीन बेटियों के साथ अपनी जिंदगी गुजारेगी। सविंदर की मौत से उसकी तीन बेटियां अनाथ हो चुकी। सविंदर बिल्कुल भूमिहीन था, जो मजदूरी एवं बटाई की खेती कर अपना जीवन बसर कर रहा था। लगातार तीन बेटी की परवरिश एवं गरीबी का दंश वह झेल नहीं सका। शायद यही पति पत्नी में नोक झोंक का कारण बना। सविंदर स्वयं तो चला गया लेकिन अपनी पुत्री एवं पत्नी को बेसहारा छोड़ दिया।


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