Bihar CoronaVirus Effect: औरंगाबाद में खून की कमी से जिंदगी व मौत के बीच झूल रहे थैलसीमिया के मरीज
Bihar CoronaVirus Effect बिहार में कोरोनावायरस संक्रमण का दूसरे रोगों के मरीजों पर भी प्रभाव पड़ा है। ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई है। औरंगाबाद की बात करें तो वहां खून की कमी के कारण थैलसीमिया मरीजों की जान पर बन आई है।
औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। Bihar CoronaVirus Effect कोरोनावायरस के संक्रमण काल (CoronaVirus Era) में ब्लड बैंक (Blood Bank) भी पूरी तरह से सूख गए हैं। कोरोना महामारी के दौरान एक भी रक्तदान शिविर (Blood Donation Camp) नहीं लगा है। हालात ऐसे हैं कि खून की जरूरत पड़ने पर लोगों को डोनर (Blood Donar) अब साथ लाना पड़ता है। वही खून जरूरतमंद को उपलब्ध कराया जा रहा है। ब्लड बैंक में खून की काफी कमी हो गई है। अधिकारी महामारी के दौरान हर तरफ ध्यान दे रहे हैं परंतु इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। यहां छह यूनिट ब्लड दुर्घटना एवं अन्य तरह से अतिआवश्यक मरीजों कर लिए रखा गया है।
हर माह 60 यूनिट ब्लड की जरूरत
ब्लड बैंक की बात करें तो हर माह कम से कम 60 यूनिट ब्लड की जरूरत रहती है। भंडारण क्षमता 300 यूनिट है, लेकिन कोरोना काल में खून के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। कई ग्रुप के डोनर नहीं मिल पाने की वजह से लोगों को इंटरनेट का सहारा लेना पड़ता है। कभी-कभी तो इस माध्यम से भी डोनर नहीं मिल पाते हैं।
थैलसीमिया प्रभावित बच्चों की बढ़ी परेशानी
ब्लड बैंक में खून की कमी होने के कारण सबसे अधिक परेशानी थैलसीमिया रोग से पीड़ित बच्चों को है। सदर अस्पताल में करीब 20 बच्चों का ब्लड चढ़ाया जा रहा है। प्रत्येक बच्चों को एक माह में दो यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है। करीब 40 यूनिट ब्लड इन बच्चों के लिए चाहिए। इन बच्चों को ब्लड देने के लिए बैंक को डोनर की जरूरत नहीं है। ऐसे में स्वजन खून के लिए दौड़ लगा रहे हैं।
नहीं लग रहा शिविर
कोरोना महामारी के बीच ब्लड बैंक में खून की कमी हो गई है परंतु शिविर नहीं लग पा रहा है। कारण की महामारी के दौरान भीड़ नहीं लगाना है। शिविर में अधिक ब्लड आता था जिससे मरीजों को दिया जाता था।जरूरत पड़ने पर कुछ संगठन के लोग मदद कर रहे हैं। शिविर नहीं लगने का कारण ब्लड बैंक खून की कमी से जूझ रहा है।
इन मरीजों में खपता है खून
सदर अस्पताल प्रशासन की मानें तो उन्हें छह तरह के रोगियों को खून मुफ्त में देना पड़ता है। ऐसे रोगियों से न तो बदले में खून मिलता है और न ही कोई फीस। इससे रक्त की कमी हो जाती है। मुख्य रूप से महिला अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती होने वाली महिलाओं को जरूरत पर निशुल्क खून देने के साथ ही उन्हें कैंसर, थैलसीमिया, डायलिसिस, प्लास्टिक एनीमिया व दुर्घटना में गंभीर घायलों को खून की आवश्यकता होने पर तुंरत खून देना होता है। ये वे मरीज हैं, जिन्हें खून देने के बदले में खून नहीं मिलता है।
सेवा समिति के सदस्य को नहीं मिला ब्लड
रक्तदान सेवा समिति के अध्यक्ष राहुल राज ने बताया कि कोरोना के कारण शिविर नहीं लगाया जा रहा है। उन्होंने अपने जन्मदिन पर 7 अगस्त 2019 को कैम्प लगाने की जानकारी देते हुए बताया कि उसमें रिकॉर्ड 111 यूनिट ब्लड दान हुआ था। राहुल ने ब्लड बैंक के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जो सेवा समिति के सदस्य रक्त दान करते हैं अगर उनके किसी परिवार को जरूरत पड़ जाती है तो उन्हें नहीं दिया जाता है। कह दिया जाता है कि ब्लड नहीं है। वहीं अगर किसी माननीय का फोन आ जाये तो ब्लड बैंक तुरंत उपलब्ध करा देता है। ब्लड बैंक के इस रवैये से सदस्य नाराज हैं जिज़ कारण कैम्प लगाने में काफी परेशानी हो रही है।
प्रशासन करेगा रक्तदान : डीएम
ब्लड की कमी के संबंध में पूछे जाने पर डीएम सौरभ जोरवाल ने बताया कि इसके बारे में जानकारी नहीं थी। तत्काल ही जानकारी ले रहे हैं। अगर ऐसी स्थिति है तो सबसे पहले प्रशासन रक्तदान करेगा। रक्त के कारण किसी भी मरीजों को परेशानी नहीं होने दिया जाएगा।