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रोहतास में जमीन का बड़ा खेल, यहां बनना था गरीबों का आशियाना, अब होगा शिक्षा भवन का निर्माण

एक ही छत के नीचे तमाम शाखाओं का दफ्तर व अधिकारियों के बैठने की सुविधा हो इसे ले जिले में शिक्षा भवन का निर्माण कराया जा रहा है। डीईओ कार्यालय पहले से ही दूसरे के परिसर में चल रहा है। भवन को खाली करने को नोटिस भी दे चुका है।

By Prashant KumarEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 04:52 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 04:52 PM (IST)
रोहतास में जमीन का बड़ा खेल, यहां बनना था गरीबों का आशियाना, अब होगा शिक्षा भवन का निर्माण
गरीबों की जमीन पर बनेगा शिक्षा भवन। सांकेतिक तस्‍वीर।

धनंजय पाठक, सासाराम। बिहार सरकार के निर्देश पर बनने वाले शिक्षा भवन के लिए लाल कार्ड की जमीन उपलब्ध कराई गई है। डीईओ ने उक्त जमीन का प्रस्ताव बना विभाग को राशि के लिए भेजने के बाद जब दखल-कब्जा के लिए स्थल पर गए तो पता चला कि यह जमीन भूमिहीनों को पूर्व में ही आवंटित हो चुूकी है तथा उनका लाल कार्ड भी बन गया है। शिक्षा भवन निर्माण शीघ्र कराने को ले अब डीईओ ने जिला मुख्यालय  के पांच किलोमीटर के दायरे वाले चार विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों से महज दस कट्ठा जमीन उपलब्ध कराने के लिए कहा है। 

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डीईओ संजीव कुमार के अनुसार एक ही छत के नीचे तमाम शाखाओं का दफ्तर व अधिकारियों के बैठने की सुविधा हो इसे ले जिले में शिक्षा भवन का निर्माण कराया जा रहा है। डीईओ कार्यालय पहले से ही दूसरे के परिसर में चल रहा है। भवन को खाली करने का कई बार डायट प्रबंधन द्वारा विभाग को नोटिस भी दे चुका है। छह माह पूर्व निरीक्षण में पहुंचे विभाग के अपर मुख्य सचिव ने कार्यालय भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव मांगा था। जिसके बाद डीईओ ने भूमि उपलब्ध कराने के लिए जिला प्रशासन को पत्र भेजा था। प्रशासन द्वारा लालगंज में सरकारी भूमि उपलब्ध कराई गई। बाद में ज्ञात हुआ कि यह भूमि को प्रशासन पहले ही भूमिहीनों के नाम आवंटित किया है।  मामला संज्ञान में आने के बाद उक्त जमीन आवंटन का प्रस्ताव देने वाले कनीय अधिकारी का हाथ-पांव फूलने लगा था।

डीईओ ने कहा कि शहर से सटे उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय सेमरा, उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय मोरसराय, उमावि बेलाढ़ी उच्च विद्यालय चौखंडा चितौली के प्रधानाध्यापक को पत्र भेज समुचित भूमि उपलब्ध कराने संबंधी अनापत्ति प्रमाण देने को कहा है ताकि कार्यालय भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर विभाग को भेजा जा सके। मालूम हो कि शीतकालीन सत्र के दौरान भी जमीन की फर्जीवाड़ा का मुद्दा उठा था, जिस पर मंत्री रामसूरत राय ने नई नीति को लागू किए जाने की बात कही थी।


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