बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित नहीं हो सका भुरहा धाम
गया । प्रखंड मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर स्थित भुरहा धाम को बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित नहीं कि
गया । प्रखंड मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर स्थित भुरहा धाम को बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित नहीं किया जा सका है।
बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद सारनाथ जाने के क्रम में भगवान बुद्ध ने रात्रि विश्राम गुनेरी में किया था। इसके बाद भुरहा धाम का भ्रमण कर दुब्बा गढ़ पर प्रवचन दिया था। पौराणिक मान्यता यह भी है कि अपने पिता राजा दशरथ के पिंडदान के लिए गयाजी जाने के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने यहां रात्रि विश्राम किया था। भुरहा धाम में प्रत्येक वर्ष विसुआ एवं कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर भुरहा नदी में स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं। यहां के विकास के लिए भुरहा महोत्सव समिति करीब दस वर्षो से कार्य कर रही है। समिति के आग्रह पर 2013 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं तत्कालीन पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ यहां का भ्रमण किया था। मुख्यमंत्री ने इसे बौद्ध सर्किट के रूप में विकसित करने का आश्वासन दिया था। लेकिन अधिकारियों का कोई ध्यान इस ओर नहीं है। दुर्वाशानगर भुरहा में पर्यटन विभाग ने विवाह मंडप का निर्माण जरूर कराया है, जहां मांगलिक कार्य होते हैं। गुरुआ-भरौंधा मार्ग पर धावा नदी पर बना पुल काफी पुराना होने के कारण जर्जर हो चुका है। इससे बड़े वाहनों के आवागमन में काफी दिक्कत होती है। दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।