हाउसिंग बोर्ड की जमीन समेत ढाई लाख प्लॉट की रजिस्ट्री पर लगी रोक
-नगर निगम एवं बोधगया क्षेत्र में 50 हजार से अधिक प्लॉट सरकारी व गैर सरकारी जमीन बचाने की कवायद -कोर्ट व प्रमंडलीय आयुक्त के निर्देश पर लगाई गई थी रोक - ------ -20 हजार से अधिक प्लॉट हैं बोधगया के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में -----------
नीरज कुमार, गया
जिले के प्राय: प्रखंडों में सरकारी जमीन पर निरंतर अतिक्रमण व कब्जा हो रहा है। अतिक्रमण से बचाने के लिए प्रशासन का निरंतर प्रयासरत है। कानूनी प्रक्रिया और कोर्ट-कचहरी से अच्छा है कि ऐसे प्लॉट को चिह्नित कर रजिस्ट्री पर रोक लगा दी जाए। सबसे बड़ी बात है कि बिहार राज्य हाउसिंग बोर्ड की जमीन पर भी भू-माफिया की नजर है। बीते वर्ष बोर्ड की जमीन को रजिस्ट्री आफिस की मिलीभगत से कुछ प्लॉट की रजिस्ट्री करा दी गई थी। उसके बाद तत्कालिक प्रमंडलीय आयुक्त पंकज पाल के संज्ञान लिया था। जांचोपरांत उन्होंने बोर्ड की जमीन को बचाने के लिए रजिस्ट्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया। कुछ इसी तरह की शिकायत अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल बोधगया से मिल रही थी। बोधगया की शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में करीब 20 हजार से अधिक प्लॉट हैं। ये गैर मजरुआ, भूदान, खास जमीनें हैं, जिनकी रजिस्ट्री पर रोक लगाई गई है। सबसे ज्यादा गया नगर निगम यानि शहरी क्षेत्र के अलग-अलग वार्डो में सरकारी और गैर सरकारी जमीन की रजिस्ट्री पर रोक है।
रजिस्ट्री आफिस से मिली जानकारी के अनुसार, नगर निगम, बोधगया के अलावा अलग-अलग प्रखंडों में करीब ढाई लाख से अधिक प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं हो रही है। इन सभी प्लॉट पर अलग-अलग विभागों से मिले निर्देश के आलोक में रजिस्ट्री पर रोक है।
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तीन वर्षो में भी
पूरी नहीं हुई जांच
जिन प्लॉट की रजिस्ट्री पर रोक है। वैसे प्लॉट सरकारी दस्तावेज में दर्ज हैं या नहीं? अंचलाधिकारी को इसकी जांच की जिम्मेदारी दी गई है। चूंकि संख्या अधिक होने के कारण तीन वर्षो में भी जांच पूरी नहीं हो पाई है। बताया गया है कि सीओ ने जांच के लिए सीआई व राजस्व कर्मचारी के पास भेजा है। वहां मामले लंबित हैं।
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कैसे रोकी जाती है रजिस्ट्री
पिछले दो से तीन साल में विवादित व सरकारी जमीन की जांच पूरी नहीं हुई है। जांच पूरी होने तक रजिस्ट्री आफिस ने ढाई लाख प्लॉट को डीमार्किंग करते हुए कंप्यूटर में अंकित किया। सभी प्लॉट की संख्या, खाता व थाने नंबर कंप्यूटर में अंकित कर दिए गए हैं। जैसे ही कोई भू-माफिया या फिर डीड राइटर रोक लगाए गए प्लॉट को झांसे में रखकर रजिस्ट्री कराने की कोशिश करता है। कंप्यूटर में उस जमीन का प्लॉट नंबर, खेसरा व थाने नंबर अंकित करता है। उसकी वस्तुस्थिति बता देता है। इस व्यवस्था के कारण संबंधित प्लॉट की रजिस्ट्री नहीं हो पाती है। जिन प्लॉट की जांच पूरी हो गई है, उस पर से रोक हटा दी गई है। वैसे नाम अभी भी कंप्यूटर में दर्ज हैं। इस कारण भू-माफिया व डीड राइटर से परेशानी हो रही है।
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कोर्ट, प्रमंडल व जिलास्तरीय पदाधिकारी के निर्देश पर ढाई लाख से अधिक प्लॉट पर रोक लगाई गई है। इनमें हॉउसिंग बोर्ड की जमीन भी शामिल है। रोक में अधिकांश सरकारी जमीन है। कुछ प्लॉट रैयती हैं, जिस पर विवाद पहले से चला आ रहा है। इन सभी प्लॉट को जांच करने के लिए सीओ को भेजा गया है। जांच रिपोर्ट व सीओ का मंतव्य आने के बाद वैसे प्लॉट से रोक हटाई जाती है। फिलहाल ढाई लाख प्लॉट की रजिस्ट्री पर रोक है।
रीवा चौधरी जिला अवर निबंधन पदाधिकारी, गया