गया में मौसम के बिगड़े मिजाज ने बढ़ाई किसानों की चिंता, आलू, सरसो समेत गेहूं की खेती को नुकसान
माघ महीने की बारिश से रबी फसलों को नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताया गया है। खेतों में गेहूं के छोटे-छोटे पौधे तैयार हुए हैं। यदि अच्छी बारिश हो गई और खेतों में अत्यधिक जलजमाव हो जाता है तो उन छोटे पौधों को नुकसान हो सकता है।
जागरण संवाददाता, गया। जिले में बीते 24 घंटे में मौसम के मिजाज में काफी बदलाव हुआ है। शनिवार की शाम से बूंदाबांदी हो रही है। रात में भी रुक- रुक कर कई बार हल्की से मध्यम बारिश हुई। रविवार की सुबह से भी बूंदाबांदी का दौर जारी है। आसमान बादलों से ढका हुआ है। शहरी इलाकों के साथ ही प्रखंड क्षेत्रों में भी बारिश होने की खबर है। हालांकि, पछुआ हवा नहीं चलने से कनकनी व ठिठुरन से थोड़ी राहत जरूर है। मौसम के पूर्वानुमान में आज और कल हल्की से मध्यम बारिश होगी। रविवार को गरज के साथ बारिश होने की संभावना जताई गई है। ओलावृष्टि होने के भी आसार बताए गए हैं।
12 एमएम तक दर्ज हुई बारिश, जंगल क्षेत्रों में अच्छी बारिश होने की खबर
रविवार को जिले का न्यूनतम तापमान 16.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। जबकि बीते 24 घंटा में जिले में औसतन 12 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है। जंगल क्षेत्रों में कहीं-कहीं 20 से 22 मिलीमीटर तक बारिश होने की भी खबर है।
माघ की वर्षा रबी फसलों को पहुंचाती बड़ा नुकसान
माघ महीने की बारिश से रबी फसलों को नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताया गया है। अभी खेतों में गेहूं के छोटे-छोटे पौधे तैयार हुए हैं। अभी इनके वानस्पतिक विकास का समय है। यदि अच्छी बारिश हो गई और खेतों में अत्यधिक जलजमाव हो जाता है तो उन छोटे पौधों को नुकसान हो सकता है। ऐसे में गेहूं की खेती कर रहे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ेगा। इन पौधों के गल जाने की पूरी संभावना व्यक्त की गई है। इधर, जिन खेतों में आलू की फसल लगी हुई है उन्हें भी अभी की बारिश से जबरदस्त नुकसान होगा। फसल की उपज प्रभावित होगी। आलू के पौधों में झुलसा रोग लगने का भी संभावना है। तिलहन फसलों की बात करें तो सरसों और तीसी की फसल भी इस बारिश से प्रभावित होगी। वहीं दलहन में चना, मसूर की खेती को बहुत अत्यधिक नुकसान हो सकता है।
'खेतों में नहीं जमा हो पानी इसके लिए पूर्व से तैयारी रखें किसान'
जिला के कृषि परामर्शी सुदामा सिंह ने बारिश और खराब मौसम को लेकर किसानों से कहा कि खेतों में जल निकासी प्रबंधन की व्यवस्था कर लें। खेत में पानी जमा होने से पौधों को अत्यधिक नुकसान होता है। गेहूं के खेतों को अधिक नुकसान हो सकता है। बता दें जिले में इसी माह की 12 तारीख को बारिश और ओलावृष्टि से हजारों एकड़ में लगी फसल को पहले ही नुकसान पहुंच चुका है।
दुधारू पशुओं की सेहत को लेकर फिक्रमंद रहें पशुपालक
ठंड को देखते हुए पशुपालकों से भी सावधानी बरतने की अपील की गई है। पशुओं को जिस जगह पर रखा जाता है उस जगह को सूखा रखें। ताकि पशुओं को ठंड नहीं लगे। पशुओं को हरा चारा और मिनरल्स आहार के रूप में जरूर दें।