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बदहाल शिक्षा: गया में एक ऐसा विद्यालय जिसके जर्जर हाॅल में चलती पांच क्लास, जानें कैसे पढ़ते हैं बच्‍चे

गया में एक ऐसा विद्यालय है जो कई साल से एक जर्जर हाॅल में चल रहा है। वह है नगर निगम क्षेत्र दक्षिणी के मध्य विधालय मानपुर। जहां चौथी से लेकर आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को एक हाॅल में दरी एवं बेंच पर बैठाकर पढ़ाया जाता।

By Prashant KumarEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 08:41 AM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 08:41 AM (IST)
बदहाल शिक्षा: गया में एक ऐसा विद्यालय जिसके जर्जर हाॅल में चलती पांच क्लास, जानें कैसे पढ़ते हैं बच्‍चे
मध्य विधालय मानपुर के एक हाल में चलती पांच क्लास। जागरण।

जागरण संवाददाता, मानपुर (गया)। गया में एक ऐसा विद्यालय है, जो कई साल से एक जर्जर हाॅल में चल रहा है। वह है नगर निगम क्षेत्र दक्षिणी के मध्य विधालय मानपुर। जहां चौथी से लेकर आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को एक हाॅल में दरी एवं बेंच पर बैठाकर पढ़ाया जाता। यहां के बच्चें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कितना ग्रहण कर रहे होगें, इसका अंदाजा यहां की व्यवस्था देख आप भी लगा सकते हैं।

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मध्य विधालय मानपुर की स्थापना 1952 में हुई थी। उस वक्त कुम्हार टोली के समीप एक निजी भवन में चलता था, जहां विधालय कई साल तक चला।  जब यह भवन जर्जर हो गई तो विधालय को बंद पडे़ रंगाई गृह केंद्र में स्थानांतरित कर दिया गया। जहां विभिन्न तरह के वस्त्रों की रंगाई होने वाला एक हाॅल में चौथा से लेकर आठवा वर्ग के छात्र-छात्रा का पढाई होना शुरु हो गया।

सोनम कुमारी, पुजा कुमारी, गुडू कुमार, विवेक कुमार आदि छात्र-छात्राओं ने बताया कि एक हाॅल में चौथी से लेकर आठवीं तक के विद्याथियों को बैठाकर पढ़ाने से शिक्षक द्वारा बतलाई गई बात तनिक भी समझ में नहीं आती। बेहतर शिक्षा की व्यवस्था नहीं होने के कारण आज विधाथिॅयों की संख्या में काफी कमी आ गई है। फिलहाल यहां 228 छात्र-छात्रा नामांकित हैं। इन बच्चों को शिक्षा देने के लिए प्रधानाध्यापक सहित पांच शिक्षक नियुक्त हैं। जो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में तनिक भी कोताही नहीं बरतते। लेकिन, भवन के अभाव में बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित है।

प्रधानाध्यापक संजय कुमाऱ गुप्ता का कहना है कि छात्र-छात्रा को शिक्षा देने वाला हाॅल काफी जर्जर है। वर्षा होने पर छज्जा से कई जगह पानी टपकता, खिड़की का दरबाजा टूटा रहने से जाडें में ठंड और गमीॅ में लू लगती हैं। विधालय का अपना भवन बनाने के लिए शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के पास कई बार मौखिक एवं लिखित कहा, लेकिन पहल आज तक नहीं हुई।


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