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शॉर्ट फिल्‍म व पोषण रैली से भभुआ में फैलाई जा रही जागरूकता, विश्व स्तनपान सप्ताह को लेकर हो रहे ये आयोजन

बिहार के भभुआ जिले में स्तनपान से जुड़ी शार्ट फिल्म दिखाकर सेविकाओं का ज्ञानवर्धन किया गया।आंगनबाड़ी पोषण क्षेत्र में रैली निकालकर माताओं व महिलाओं को जागरूक किया गया। शिशुओं को कुपोषण से बचाने और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से विश्व स्तनपान सप्ताह का शुभारंभ हुआ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 08:55 AM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 08:55 AM (IST)
शॉर्ट फिल्‍म व पोषण रैली से भभुआ में फैलाई जा रही जागरूकता, विश्व स्तनपान सप्ताह को लेकर हो रहे ये आयोजन
स्तनपान से शिशु को होने वाले फायदे बताए गए, सांकेतिक तस्‍वीर ।

भभुआ, जागरण संवाददाता। शिशुओं को कुपोषण से बचाने और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से जिले में रविवार से विश्व स्तनपान सप्ताह का शुभारंभ हुआ। इस दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों के संबंधित पोषण क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से माताओं व महिलाओं को जागरूक किया गया। जहां एक ओर आमजनों को जागरूक करने के उद्देश्य से रैली निकाली गई। वहीं सेविकाएं अपने पोषण क्षेत्र में घर घर जाकर माताओं को इसकी जानकारी दे रही हैं। सेविकाओं का ज्ञानवर्धन करने के लिए बैठक की गई। जिसमें उन्हें स्तनपान से जुड़ी शार्ट  फिल्म दिखाई गई। साथ ही विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। जिसमें बच्चों को गंभीर बीमारी से बचाव, शिशु मृत्यु दर में कमी, स्तनपान के सही पोजिशन, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी, छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान आदि मुद्दे शामिल रहे। बैठक के बाद सभी सेविकाओं को धात्री महिलाओं को अपने शिशुओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करने और गर्भवती महिलाओं को स्तनपान के महत्व व उद्देश्य की जानकारी देने का निर्देश दिया गया।

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डब्बा बंद दूध पिलाना सरासर गलत :

एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) विभाग के प्रभारी डीपीओ जावेद रहमत ने बताया कि स्तनपान महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है। शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्तम आहार है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद मां का गहरा पीला दूध बच्चों को पिलाएं यह दूध बच्चे को बीमारी से लडऩे की ताकत देती है। इससे बच्चे के स्वास्थ्य बेहतर होंगे। उन्होंने कहा कि आज के इस फैशन युग में महिलाएं बच्चे को स्तनपान नहीं कराकर डब्बा बंद दूध पिलाती है। जो सरासर गलत है। एक मां को कदापि ऐसा नहीं करना चाहिए हर हाल में बच्चे को अपना दूध पिलाना चाहिए इससे मां और बच्चे के बीच मधुर संबंध बनते हैं। डीपीओ ने जिले की सभी महिलाओं से स्तनपान को लेकर किसी के बहकावे में नहीं आने और बच्चे को अपना दूध जरूर पिलाने की अपील की।

मां के शरीर में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया :

डीपीओ ने बताया कि नवजात शिशु के लिए मां का पहला पीला गाढ़ा दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है. जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए। सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक स्तनपान कराना चाहिए। शिशु को 6 महीने की अवस्था और 2 वर्ष अथवा उससे अधिक समय तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए। मां के शरीर में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है. जब तक बच्चा दूध पीता है. तब तक मां के शरीर में दूध पैदा होता है. उन्होंने बताया, मां का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से पीने को नहीं मिलता, उनमें बचपन में शुरू होने वाली मधुमेह की बीमारी अधिक होती है. बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है

स्तनपान से शिशु को होने वाले फायदे:

- अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है मां का दूध

- दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है-

- शिशु को कई गंभीर रोगों से बचाता है

- शिशु की वृद्धि अच्छे से होती है


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