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बिहार के भाजपा सांसद ने उठाया एमएसपी का मुद्दा, कहा, किसानों से तय रेट पर नहीं हो रही खरीद

औरंगाबाद के भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह ने एमएसपी का मुद्दा उठाया है। उन्‍होंने कहा है कि किसानों से न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर गेहूं की खरीदारी नहीं हो रही है। इस कारण उन्‍हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 09:19 AM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 09:19 AM (IST)
बिहार के भाजपा सांसद ने उठाया एमएसपी का मुद्दा, कहा, किसानों से तय रेट पर नहीं हो रही खरीद
एमएसपी पर गेहूं की खरीदारी की मांग। प्रतीकात्‍मक फोटो

औरंगाबाद, जागरण संवाददाता। स्‍थानीय सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा है कि किसानों से न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) पर गेहूं की खरीदारी (Procurement of Wheat) नहीं हो रही है। उन्‍होंने इसकी शिकायत डीएम से की है।  औरंगाबाद डीएम सौरभ जोरवाल को बुधवार को एक पत्र लिखकर कहा है कि जिले में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद नहीं हो रही है। बाजार में गेहूं 1400 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास बिक रहा है। यह सरकार  के स्‍तर से निर्धारित समर्थन मूल्य से 550 रुपये कम है। न्यूनतम समर्थन मूल्य और बाजार भाव के दाम में काफी अंतर होने के कारण किसानों को  आर्थिक क्षति हो रही है।

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प्रखंड मुख्‍यालय स्‍तर पर भी हो खरीद की व्‍यवस्‍था

पत्र में सांसद ने कहा है कि अभी शादी विवाह का समय है। लोगों को पैसे की जरूरत पड़ रही है। खासकर जिन किसानों के बेटे-बेटियों की शादी है उन्हें तो और भी परेशानी उठानी पड़ रही है। औरंगाबाद जिले में गेहूंकी पैदावार के अनुसार प्रखंड मुख्यालय के स्तर पर भी क्रय हो जाने से किसान अपना गेहूं वहां ले जाकर बेच सकते हैं। इससे किसानों को बहुत राहत हो सकती है। सांसद ने डीएम से कहा है कि गेहूं की खरीदारी सरकारी दर पर अविलंब शुरू कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को शीघ्र आदेश जारी करें। ता‍कि किसानों को सहूलियत हो सके।

खरीदारी पर पड़ा कोरोना का असर  

गौरतलब है कि कोरोना की वजह से गेहूं की खरीदारी ( Coronavirus effect on Wheat Procurement) पर काफी असर पड़ा है। एक तो विलंब से खरीदारी  शुरू हुई ऊपर  से कई तरह की समस्‍याएं होने के कारण किसान अपना गेहूं नहीं बेच पा  रहे हैं। इस वजह से वे औने-पौने भाव में अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं। ऐसे में वे बाजार में अपना गेहूं बेच रहे हैं। वहां उन्‍हें काफी कम कीमत मिल रही है। बिचौलिए किसानों की जरूरत का फायदा उठाकर मनमानी  कर  रहे हैंं।


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