औरंगाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश निलंबित, पटना सिविल कोर्ट से किए गए अटैच; सामने आई ये वजह
पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ताओं के नामों की सूची अपनी अनुशंसा के साथ सुप्रीम कोर्ट भेजी थी। इसमें कृष्ण मुरारी शरण का नाम नहीं था। यद्यपि कि जिला जज संवर्ग की वरीयता सूची में कृष्ण मुरारी शरण का नाम था।
जागरण संवाददाता, औरंगाबाद। औरंगाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्ण मुरारी शरण को पटना उच्च न्यायालय ने निलंबित कर दिया है। निलंबित न्यायिक पदाधिकारी को पटना सिविल कोर्ट से अटैच किया गया है, अब वही इनका मुख्यालय होगा। इस बीच वे बिना अनुमति के मुख्यालय नहीं छोड़ पाएंगे। उनके विरुद्ध पटना उच्च न्यायालय ने अनुशासनिक कार्रवाई भी शुरू की है। गुरुवार की शाम पटना उच्च न्यायालय के पोर्टल पर निलंबन का आदेश जारी किए जाने की जानकारी होते ही औरंगाबाद न्यायालय से जुड़े लोगों में खलबली मच गई।
शुक्रवार को जैसे ही न्यायालय खुला सिविल कोर्ट परिसर में यह मामला चर्चा का विषय बना रहा। न्यायिक पदाधिकारियों में मायूसी देखी गई।
अधिवक्ता भी इस कार्रवाई पर हतप्रभ नजर आए। हर तरफ एक ही चर्चा रही। अधिवक्ताओं के बीच यह चर्चा रही कि कुछ दिन पहले पटना उच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कालेजियम ने सूबे के कुछ वरीय जिला जजों एवं पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ताओं के नामों की सूची अपनी अनुशंसा के साथ सुप्रीम कोर्ट भेजी थी। इसमें कृष्ण मुरारी शरण का नाम नहीं था। यद्यपि कि जिला जज संवर्ग की वरीयता सूची में कृष्ण मुरारी शरण का नाम था। ऐसा समझा जाता है कि वरीयता सूची में इनके नाम से नीचे वालों के नाम कालेजियम की सूची में शामिल थे। इसी को लेकर इन्होंने पटना उच्च न्यायालय को अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था।
समझा जाता है कि पटना उच्च न्यायालय ने अभ्यावेदन को अनुशासहीनता मानते हुए यह कार्रवाई की है। बता दें कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश का पदस्थापन औरंगाबाद में 16 जून 2021 को हुआ था। इसी दिन इन्होंने यहां योगदान दिया था। इससे पहले ये बिहार स्टेट लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी के सचिव पद पर कार्यरत रहे हैं। वहीं, मधुबनी में जिला एवं सत्र न्यायाधीश पद पर कार्यरत थे। हालांकि, इस विषय पर कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाह रहा।