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कोरोना लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई का प्रयास, आइटीआइ के भवन की छत पर उपजा रहे मशरूम

इंजीनियरिंग का गुर सिखाने वाले आइटीआइ संस्‍थान की छत पर मशरूम उपजाया जा रहा है। डेल्हा स्थित शेफाली आइटीआइ की छत पर मशरूम की खेती हाे रही है। उम्‍मीद है कि यह लॉकडाउन में हुई क्षति का भरपाई कर पाएगी।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 12:14 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 12:14 PM (IST)
कोरोना लॉकडाउन में हुए नुकसान की भरपाई का प्रयास, आइटीआइ के भवन की छत पर उपजा रहे मशरूम
मशरूम के पैकेट को देखते राकेश। जागरण
सुभाष कुमार, गया। शहर के डेल्हा स्थित शेफाली आइटीआइ भी अन्‍य शैक्षणिक संस्थानों की तरह कोरोना रूपी आपदा से प्रभावित था। लंबे अंतराल के लॉकडाउन ने पठन-पाठन चौपट कर दिया। आमदनी ठप पड़ गई। एक तरह से संस्‍थान की पूरी संरचना को ही तोड़ दिया। ऐसे में आइटीआइ के संचालक राकेश ने आपदा को अवसर में बदलने के लिए अनूठा प्रयास किया। उन्होंने संस्‍थान के भवन की छत पर मशरूम की खेती करने की तरकीब सोची। आज मशरूम के 1500 पैकेट में हर रोज सफेद बटन मशरूम उपज रहे हैं। अब राकेश की सराहना होने लगी है।

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राकेश बताते हैं कि खाली समय में कुछ करने की सोच रहे थे। तभी अपने आइटीआइ में ही मशरूम की खेती करने की सोच बनी । इसमें उन्होंने स्थानीय समर्थ संस्थान के प्रभात कुमार और नाबार्ड का सहयोग लिया। मशरूम के पैकेट अपने छत पर डाल दिए। सभी पैकेट में दवा समेत मशरूम के बीज डाल दिए गए। जल्द ही खिले हुए मशरूम प्राप्त होंगे। राकेश को उम्मीद है कि जो भी नुकसान लॉकडाउन की वजह से हुआ है उसकी भरपाई मशरूम की खेती से हो सकेगी।
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सत्र 2018- 20 की परीक्षा नवंबर और दिसंबर में हुई। इसमें काफी कम परीक्षार्थी शामिल हो पाए। कई ने फॉर्म भी अप्लाई नहीं किया था। वहीं, छात्र छात्राओं के स्‍वजनों का कहना है कि आर्थिक स्थिति कोरोना काल में खराब है। लिहाजा समय पर भुगतान नहीं कर सका। ऐसा होने से आर्थिक परेशानियां झेलनी पड़ रही है। 


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