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अनुमंडल अस्पताल में दलाल की भूमिका निभा रहीं आशा, जानिये कैसे भभुआ में मरीजों से कर रही धोखा

चिकित्सा सुविधा का लाभ दिलाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है। सरकार की मंशा है कि आशा कार्यकर्ता मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाएंगी। इससे उन्हें सरकारी सुविधा का लाभ मिलेगा। लेकिन अनुमंडल अस्पताल मोहनियां में आशा कार्यकर्ता दलाल की भूमिका निभा रही हैं।

By Prashant Kumar PandeyEdited By: Published: Thu, 13 Jan 2022 03:27 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jan 2022 03:27 PM (IST)
अनुमंडल अस्पताल में दलाल की भूमिका निभा रहीं आशा, जानिये कैसे भभुआ में मरीजों से कर रही धोखा
भभुआ अनुमंडल अस्पताल में आशा कार्यकर्ता की सांकेतिक तस्वीर

 संवाद सहयोगी, मोहनियां: ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को सरकारी अस्पताल में उपलब्ध चिकित्सा सुविधा का लाभ दिलाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई है। सरकार की मंशा है कि आशा कार्यकर्ता मरीजों को अस्पताल तक पहुंचाएंगी। इससे उन्हें सरकारी सुविधा का लाभ मिलेगा। लेकिन अनुमंडल अस्पताल मोहनियां में आशा कार्यकर्ता दलाल की भूमिका निभा रही हैं। अभी अस्पताल में बंध्याकरण आपरेशन चल रहा है। आशा कार्यकर्ता गांव में ही बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं से संपर्क कर ले रही हैं। अस्पताल में लाकर भर्ती करा देती हैं।

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बाहर के दुकानों पर मिलता है कमीशन

आशा कार्यकर्ता आपरेशन के बाद चिकित्सक द्वारा लिखे गए दवा की पर्ची को अपने पास रख लेती हैं। अस्पताल के बगल में दवा की दुकानें हैं। दुकानदारों द्वारा इन्हें एक-एक पर्ची पर अच्छा खासा कमीशन दिया जाता है। जिसके लोभ में सरकारी अस्पताल में दवा उपलब्ध होने के बावजूद बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं के स्वजनों को बाहर की दुकानों से दवा खरीदने के लिए बाध्य करती हैं। भोले-भाले ग्रामीण इस बात को समझ नहीं पाते कि अनुमंडल अस्पताल में दवा उपलब्ध है। वे दवा की पर्ची लेकर सीधे दवा दुकान पर पहुंच जा रहे हैं। जहां उन्हें सात सौ से लेकर एक हजार रुपये तक की दवा खरीदनी पड़ती है। जबकि वह दवा चार सौ से अधिक की नहीं होती। 

महिलाओं को निजी अस्पतालों में भी ले जाती हैं आशा कार्यकर्ता

बताया जाता है कि दुकानों पर जेनेरिक दवाएं मिलती हैं। इसमें दुकानदारों को अच्छा मुनाफा हो जाता है। इतना ही नहीं आशा कार्यकर्ता प्रसव के लिए अनुमंडल अस्पताल आई महिलाओं को निजी अस्पतालों में भी ले जाती हैं। जहां इन्हें एक केस पर पांच से दस हजार रुपये मिल जाते हैं। मोहनिया में यह धंधा काफी दिनों से चल रहा है। इस संबंध में अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डा. एके दास ने बताया कि बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं के लिए अस्पताल में सभी दवाईयां उपलब्ध हैं। बाहर से कोई दवा नहीं खरीदनी है। अगर इस तरह की शिकायत है तो इसको गंभीरता से लेकर जांच कराएंगे। इसके लिए दोषी आशा कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की जाएगी।


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