अंशु हत्याकांड: पुलिस के बयान में झोल, 20 लाख के लिए हुई मासूम की हत्या, मोबाइल ने खोला राज
नवादा के मासूम अंशु की अपहरण के बाद गया में निर्मम हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड को लेकर पुलिस जो बयान दे रही है उसको लेकर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय लोग जांच में लापरवाही की भी बात कर रहे हैं।
संवाद सहयोगी, नवादा ।नवादा के मासूम अंशु की अपहरण के बाद गया में निर्मम हत्या कर दी गई। अंशु अपहरणकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए एसपी डीएस सावलाराम ने एसआइटी का गठन किया था। सदर एसडीपीओ उपेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में गठित टीम में सर्किल इंस्पेक्टर नेयाज अहमद, नगर थानाध्यक्ष विजय कुमार सिंह, मुफस्सिल थानाध्यक्ष एलबी पासवान, रोह थानाध्यक्ष रवि भूषण, एसआइ कपेंद्र सिंह, एसआइ नरोत्तम व डीआइयू प्रभारी राजीव कुमार को शामिल किया गया था।
घटना के शुरूआती जांच में तीनों नामजदों को संलिप्तता सामने नहीं आने पर एसआइटी की मुश्किलें बढ़ गई थी। एसडीपीओ ने बताया कि घटनास्थल के आसपास सीसीटीवी फुटेज को खंगाला गया। आसपास के दुकानदारों से पूछताछ की गई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल रहा था। तब किसी परिचित की संलिप्तता को ध्यान में रखते हुए तकनीकी जांच शुरू की गई। मोबाइल सर्विलांस के आधार पर इंद्रजीत तक पहुंचे तो घटना की गुत्थी सुलझ सकी। उन्होंने बालक को सही सलामत बरामद नहीं किए जाने पर दुख प्रकट किया। लेकिन पुलिस के बयान पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
पुलिस के बयान व जांच पर उठ रहे सवाल
प्रेस वार्ता में एसडीपीओ ने बताया कि मृत बालक की एकमात्र बहन है, जिसकी शादी इंद्रजीत से हुई है। उसने ससुराल की संपत्ति का मालिक बनने के लिए अपने एक साला की हत्या की और दूसरे की हत्या करने का मन बनाया था। लेकिन दस दिनों की जांच में पुलिस को यह भी पता नहीं चल सका कि अंशु की अन्य बहनें भी हैं। ऐसे में जांच पर सवाल खड़ा होना स्वभाविक है। कहा जा रहा है कि जांच में इसी लापरवाही के कारण बालक की जान चली गई। हालांकि एसडीपीओ का दावा है कि अपहरण के ही दिन बालक की हत्या कर दी गई थी। इधर, पुलिस सूत्रों ने बताया कि इंद्रजीत जमीन बिक्री की रकम से 20 लाख रुपये मांग रहा था।