अमेरिकी व जापानियों को भी लुभा रही गया की खादी
फोटो -प्रतिवर्ष खादी से बने रेडिमेड वस्त्र व थान भेजा जा रहा है अमेरिका व जापान -खादी के वस्त्रों की जिले के साथ राज्य में भी बढ़ी मांग बढ़ते जा रहे खरीदार -ग्राम निर्माण मंडल खादी ग्रामोद्योग मानपुर में बड़ी संख्या में कारीगर तैयार कर रहे परिधान -----------------
विश्वनाथ प्रसाद, गया
गांधीजी के चरखे से काते गए सूत से बने विभिन्न तरह के परिधानों की मांग अब देश ही नहीं विदेशों तक होने लगी है। गया की खादी से बने वस्त्रों को विदेश में काफी पसंद किया जा रहा है। यहां तैयार विभिन्न तरह के ढाई हजार वस्त्र व दो सौ पीस थान प्रतिवर्ष अमेरिका और जापान के लोग ले जा रहे हैं। यही नहीं खादी से तैयार रेडिमेड वस्त्रों की मांग देश में भी काफी बढ़ी है। यहां 43 हजार पीस रेडिमेड वस्त्रों की बिक्री प्रतिवर्ष होती है।
ऐसे तैयार होता है खादी वस्त्र :
हाथ से संचालित चरखे पर पुनी से सूत की कताई की जाती है। उसके बाद हथकरघे पर सूत से थान तैयार किया जाता है। इस थान की विभिन्न रंगों से रंगाई की जाती है। उसके बाद थान से काटकर विभिन्न तरह के रेडिमेड वस्त्र तैयार किए जाते हैं। बेरोजगारों को मिला रोजगार
यहां गांधीजी का वह सपना भी साकार होता दिख रहा है, जिसमें उन्होंने 'हथकरघा उद्योग संचालित कर लोगों को रोजगार देने' की बात कही थी। ग्राम निर्माण मंडल खादी ग्रामोद्योग समिति लखीबाग, मानपुर से विभिन्न स्थानों पर केंद्र खोलकर चरखे से सूत की कताई की जाती है। जहां दो सौ से अधिक महिलाएं चरखे पर सूत की कताई करने में जुटी हैं, वहीं करीब 35 कारीगर मशीन पर थान से विभिन्न तरह के वस्त्र बनाने में जुटे हैं। विदेशों में इतना जाता है वस्त्र :
गया से पांच सौ पीस बंडी, एक हजार पीस कुर्ता, पांच सौ पीस शर्ट व पांच सौ पीस पायजामा प्रतिवर्ष अमेरिका व जापान भेजा जाता है। वहीं खादी के दौ सौ पीस थान, पांच सौ पीस धोती व पांच सौ पीस गमछे को भी विदेशी लोग ले जाते हैं। यहां बड़ी मात्रा में तैयार होते हैं वस्त्र
खादी ग्रामोद्योग में छह हजार पीस बंडी, दस हजार पीस कुर्ता, दस हजार पीस सर्ट, दस हजार पीस पायजामा , पांच हजार पीस गंजी, एक हजार पीस सलवार-सूट प्रति वर्ष तैयार होता है। बाजार मूल्य से कम पर मिलते हैं वस्त्र
यहां बाजार मूल्य से काफी कम कीमत पर खादी के आकर्षक परिधान उपलब्ध हैं। यहां की खादी से बनी बंडी की कीमत 1000 से लेकर 2500 रुपये प्रति पीस, कुर्ता 750 से लेकर 2000 रुपये तक प्रति पीस, पायजामा 500 रुपये प्रति पीस, शर्ट 600 से लेकर 1000 रुपये तक प्रति पीस, गंजी 100 से 250 रुपये तक प्रति पीस, सलवार-सूट की कीमत 1000 रुपये प्रति पीस रखी गई है।
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ग्राम निर्माण मंडल खादी ग्रामोद्योग समिति लखीबाग, मानपुर में खादी से रेडिमेड वस्त्र बेहतरीन व विभिन्न रंग में तैयार हो रहे हैं। इस कारण इसकी मांग विदेशों में भी होने लगी है। अमेरिका व जापान से आए लोग प्रतिवर्ष खादी से बने रेडिमेड वस्त्र व थान ले जा रहे हैं।
-सुनील कुमार मंडल, मंत्री, खादी ग्रामोद्योग समिति