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गया के महेर पहाड़ का है अद्भुत नजारा, पर्यटन स्थल बनाए जाने को लेकर लोगों का कब खत्म होगा इंतजार

पहाड़ के अंदर कई गुफाएं हैं। भूगर्भ में खनिज एवं तैलीय सम्पदा होने की भी बात कही जाती है। हरे भरे जंगल से ओत प्रोत खूबसूरत नजारा है।महेर पड़ा के झरने इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। पहाड़ पर कई वन्य जीव जंतु रहते हैं।

By Rahul KumarEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 10:04 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 10:04 AM (IST)
गया के महेर पहाड़ का है अद्भुत नजारा, पर्यटन स्थल बनाए जाने को लेकर लोगों का कब खत्म होगा इंतजार
गया के महेर पर्वत का नजारा। जागरण

संवाद सूत्र, टनकुप्पा(गया)। गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड का ऐतिहासिक एवं प्राचीन धरोहर महेर पहाड़ को पर्यटक स्थल बनाये जाने का इंतजार लंबे वक्त से है। ऐसे में पहाड़ पर्यटक स्थल बनने की ढेर सारी प्रमाणिकता को सिद्ध करती है। पहाड़ की लंबाई आठ किलोमीटर है। अंदर कई गुफाएं हैं। भूगर्भ में खनिज एवं तैलीय सम्पदा छिपा है। हरे भरे जंगल से ओत प्रोत खूबसूरत नजारा है। पहाड़ की चोटी पर हिन्दू, मुस्लिम का देव स्थल स्थापित है। कई अद्भुत झरने हैं। पहाड़ पर कई वन्य जीव जंतु रहते हैं। इसके अलावे कई अन्य गुमनाम स्थल भी हैं। पड़ोसी गुरपा पर्वत आने वाले विदेशी पर्यटक वापसी के वक्त पहाड़ की प्राचीनता एवं रमणीकता से प्रभावित होकर देशी,विदेशी पर्यटकों का आगमन होता रहता है। पिकनिक मनाने के लिए महेर पहाड़ काफी प्रसिद्ध हो चुका है।

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महेर पहाड़ का प्राचीन नाम महाथेर था, अब बदलकर महेर हो गया है। मगध क्षेत्र में सरकार महेर के नाम से परगना बनाया गया है। पहाड़ के ऊपर सूफी संत का मजार एवं देवी देवताओं की मंदिर प्राचीन काल से स्थापित है। इन जगहों पर दुर्गम मार्ग से श्रद्धालु पूजा पाठ आदि के पहाड़ चढ़कर जाते आते हैं। पहाड़ की प्राचीनता उत्तर गुप्तकाल से लेकर पालकल तक की है। पहाड़ के पीछे नवागढ़ गांव में पुराना मस्जिद है। क्षेत्र में कई पुराने राजाओं का गढ़, किले का अवशेष है जो प्राचीनता का गवाह है। पहाड़ के दोनो छोर पर सतधरवा झरना बहता है। जहां लोग आज भी स्नान करने जाते हैं। पहाड़ के ऊपर हिरण,नीलगाय, घोड़सवार, साहिल, सियार सहित अन्य वन्य जीव रहते हैं।

प्रयर्टक स्थल बनने से होगी राजस्व की प्राप्ति

पहाड़ श्रृंखला को पर्यटक स्थल बनाये जाने पर सरकार को काफी राजस्व प्राप्त हो सकता है। गया को छोड़कर क्षेत्र में कहीं भी कोई पर्यटक स्थल नहीं है। वर्ष 2005 में केंद्र एवं बिहार सरकार की टीम ने महेर आकर पहाड़ के गर्भ में छिपी सम्पदा की जांच की थी। टीम द्वारा लोगों को बताया गया था कि पहाड़ के अंदर कोयला एवं तैलीय पदार्थ का भंडार छिपा है। बारिश के दिनों में पहाड़ के अंदर से निकलने वाले पानी मे काले कोयले का कण एवं पानी में चिकनापन होता है। 

क्या कहते है क्षेत्रीय लोग

तत्कालीन प्रखंड प्रमुख माला देवी, धीरेंद्र सिंह, मुखीया कन्हाय पासवान, जिलापार्षद रविन्द्र कुमार, गजेंद्र प्रताप सिंह समाज सेवी, रंजीत सिंह उर्फ झलक सिंह, मंटू सिंह समाजसेवी,नंदलाल मांझी, नरायण मांझी, विजय यादव ने बताया कि आज से चार दशक पूर्व क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी स्व महेंद्र सिंह अधिवक्ता, धनुषधारी पासवान द्वारा महेर पहाड़ में छिपी सम्पदा को पता कर खुदाई करने एवं पर्यटक स्थल का दर्जा देकर सैलानियों के लिए सुविधा मुहैया कराने का मांग मुख्यमंत्री एवं पर्यटक मंत्री से कर चुके हैं। उस वक्त दो बार सेंट्रल एवं बिहार सरकार की टीम आकर महेर पहाड़ के अंदर छिपी सम्पदाओं का पता लगा चुकी है। परन्तु इसके बाद आज तक न कोई टीम आई और नहीं पर्यटन स्थल बनाया गया। 


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