महेंद्र सिंह धोनी के बारे में टीवी पर ऐसी खबर सुनी और देखी, मध्य प्रदेश से यहां भी ले आए कड़कनाथ
मध्य प्रदेश के झाबुआ का प्रसिद्ध कड़कनाथ मुर्गा अब गया में भी पलने लगा है। युवा किसान प्रभात ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत की है। सफल होने के बाद इसे सामूहिक तौर पर पाला जाएगा।
विनय कुमार पांडेय, गया। अपने गहरे काले रंग और बड़े आकार के साथ ही काले रंग के मांस के लिए प्रसिद्ध कड़कनाथ मुर्गा का स्वाद अब गया जिले के लोग भी जल्द ही चख सकेंगे। इस ब्लैक चिकन की फार्मिंग अब आपके जिले में भी शुरू हो गई है। कोंच प्रखंड के युवा प्रभात कुमार ने पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत की है। मध्यप्रदेश के झाबुआ से 25 मादा व 5 नर मुर्गा मंगाए गए हैं। ये मुर्गे चर्चा का विषय बने हुए हैं। इसे देखने के लिए लोग पहुंचते हैं। उत्सुकता से इस मुर्गे को देखते हैं।
महेंद्र सिंह धोनी और इससे जुड़ी खबरों के बाद बनाई योजना
प्रभात बताते हैं कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने कुछ माह पूर्व ही इस विशेष प्रजाति के मुर्गे पालने की इच्छा जताई थी। मीडिया में इस तरह की खबर आई थी। फोटो भी देखी थी। उसी समय से उनके मन में भी यह विचार आया। तब अभी हाल ही में वे मध्यप्रदेश के झाबुआ गए। वहां से 30 मुर्गे खरीदकर लाए हैं।
गया जिले के वातावरण में किस तरह से रहते हैं कड़कनाथ, हर दिन हो रहा अध्ययन
प्रभात बताते हैं कि अभी पायलट प्राेजेक्ट के तौर पर इन मुर्गों की देखभाल कर रहे हैं। इनके अंडा देने की क्षमता को भी देखा जा रहा है। अभी हर रोज अंडा मिल रहा है। वह मुर्गों के विकास, खान-पान, अनुकूलित वातावरण, उनकी सेहत व दूसरे हर पहलू का अध्ययन कर रहे हैं। यदि हर तरह से गया के मौसम और यहां की आवोहवा में ये मुर्गे सही ग्रोथ कर लेंगे तो इसे वे अपने समूह के किसानों तक विस्तार देंगे। इसमें करीब छह माह का समय लगेगा। प्रभात पहले से नई तकनीक के साथ खेती बारी और इससे जुड़े कार्यक्रम को करते आ रहे हैं।
जानिए क्या है कड़कनाथ की खासियत
- कड़कनाथ मुर्गा का मांस भी काले रंग का ही होता है।
- कड़कनाथ मुर्गा के एक केजी मांस में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा करीब 184 एमजी होती है जबकि सामान्य मुर्गों में 224 एमजी होती है।
- इसके मांस में 27 फीसद तक प्रोटीन पाया जाता है जबकि सामान्य में 16 फीसद ही प्रोटीन होता है।
- कड़कनाथ मुर्गा इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही वसा, प्रोटीन से भरपूर, ह्रदय, सांस, एनिमिया रोग में लाभकारी है।
- इस प्रजाति की एक मादा हर साल औसतन 120 अंडे देती है