पत्नी से झगड़ा करने के बाद पति ने नीम के पेड़ में फंदा बांध दे दी जान, भाई के साथ चली गई थी मायके
कुड़ासन गांव में बुधवार की भोर में एक युवक ने अपनी पत्नी से विवाद के बाद नीम के पेड़ में रस्सी के सहारे फांसी लगाकर जान दे दी। सुबह नीम के पेड़ में रस्सी के सहारे शव लटकता देख ग्रामीणों में कोहराम मच गया।
जागरण संवाददाता, भभुआ। थाना क्षेत्र के कुड़ासन गांव में बुधवार की भोर में एक युवक ने अपनी पत्नी से विवाद के बाद नीम के पेड़ में रस्सी के सहारे फांसी लगाकर जान दे दी। सुबह नीम के पेड़ में रस्सी के सहारे शव लटकता देख ग्रामीणों में कोहराम मच गया। ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना देते हुए शव को रस्सी से अलग किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भभुआ सदर अस्पताल भेजा। मृतक कुड़ासन गांव के सुदर्शन ठाकुर का पुत्र रंजन ठाकुर 30 वर्ष बताया जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार रंजन ठाकुर का मंगलवार की रात लगभग आठ बजे अपनी पत्नी कंचन देवी से किसी बात को लेकर विवाद हुआ। विवाद के दौरान रंजन ठाकुर ने अपनी पत्नी को पीटना शुरू कर दिया। शोरगुल होने पर परिजनों के बीच बचाव करने से मामला तब शांत हो गया। इसकी सूचना पंचायत के मुखिया को दी गई। तब मुखिया प्रतिनिधि मौके पर पहुंचे और पति रंजन ठाकुर को समझाने बुझाने का प्रयास किया। पूछे जाने पर मुखिया प्रतिनिधि नागा पासवान ने बताया कि उनके जाने से पहले रंजन ठाकुर की पत्नी कंचन देवी अपने भाई के साथ मायके सोनहन थाना क्षेत्र अंतर्गत जद्दुपुर गांव चली गई। लेकिन वह अपने दो बेटों और एक बेटी को कुड़ासन गांव ही छोड़ गई।
पोस्टमार्टम कराने पहुंचे परिजनों में शामिल छोटे भाई ने बताया कि रात में पत्नी के चले जाने के बाद रंजन ठाकुर ने अपने दो बेटों और एक बेटी को खिला पिला कर सुलाया। साथ में वह भी सोया। इसके बाद परिजन भी अपने अपने घर में चले गए। भोर में कब घर से निकले यह किसी को पता नहीं चल सका और गांव से बाहर नीम के पेड़ में रस्सी से फांसी लगाकर जान दे दी। सुबह जब ग्रामीण घूमने निकले तो पेड़ से लटकता शव देख हल्ला किए। इसके बाद सब को इस बात की जानकारी हो सकी। बताया जाता है कि मृतक रंजन ठाकुर काफी सामाजिक व्यक्ति था। वह गायक भी था। ग्रामीण स्तर में होने वाले कार्यक्रमों में भाग लेता था। उसकी मौत के बाद सदर अस्पताल में पहुंचे परिजन व महिलाएं काफी मायूस थे। अचानक घटी इस घटना से गांव के लोग भी दुखी है।