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किसी तालाब पर गोदाम तो कहीं बन गए मकान

- फोटो 70 - पुनर्जीवित करने के लिए 85 तालाबों का जिओ टैगिंग शेष को चिह्नित करने का काम जारी ------------- -153 तालाब वजीरगंज प्रखंड के 19 पंचायतों में - 85 तालाबों को पुनर्जीवित करने की कवायद -------- संरक्षण जरूरी -तालाबों के संरक्षण नहीं होने से खेती में हो रही परेशानी -धर्मपुर में एक मुख्य जलस्त्रोत पर प्राथमिक विद्यालय का भवन ---------- संवाद सूत्र वजीरगंज

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 01:45 AM (IST)Updated: Wed, 04 Sep 2019 06:32 AM (IST)
किसी तालाब पर गोदाम तो कहीं बन गए मकान
किसी तालाब पर गोदाम तो कहीं बन गए मकान

गया । तालाब मानव जीवन ही नहीं बल्कि समस्त जीव जंतु, पशु पक्षी एवं पर्यावरण के संरक्षण के लिए अति महत्वपूर्ण है। तालाबों में संचित जल से मानव के लिए भूमिगत जल स्त्रोत का जलस्तर पर्याप्त गहराई पर उपलब्ध होता है। इसके साथ-साथ पशु पक्षी एवं कई प्रकार के लाभदायक कीटों का जीवन बसर भी जीवित तालाबों में उगने वाले घास फूस के सहारे होता है। कृषि प्रधान ग्रामीण क्षेत्र में तालाबों में संचित जल से खेती के कार्य होते रहे हैं। विगत कुछ दशकों से कृषक नलकूप एवं अन्य कृत्रिम जल स्त्रोतों पर निर्भर करने लगे। इससे तालाबों, पोखर एवं नदियों के संरक्षण से लोग विमुख हो गए।

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वजीरगंज प्रखंड के 19 पंचायतों में सरकारी आकड़े के अनुसार 153 तालाब अभी भी अस्तित्व में हैं। यदि इन्हें किसी प्रकार बचा लिया जाए तो भविष्य सुधारा जा सकता है। अंचल अधिकारी विजेंद्र कुमार बताते हैं कि कुल 153 में से 85 तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए जिओ टैगिंग किया जा चुका है। शेष को चिन्हित करने के लिए काम जारी है। वे बताते हैं कि मरम्मत के अभाव में बेकार पड़े तालाबों के साथ ही अतिक्रमण एवं अस्तित्व विहीन हो चुके तालाबों को भी चिह्नित किया जा रहा है। वैसे इस प्रखंड में तालाबों का अतिक्रमण बहुत तेजी से हुआ है। प्रखंड मुख्यालय से सटे पश्चिम पुनावा में अवस्थित तालाब में तो मकान ही मना लिया गया है, जबकि इसका कुछ भाग मरम्मत के अभाव में विलुप्त होने के कगार पर है।

इसी गाव के स्टेशन रोड में अवस्थित दूसरे तालाब पर यात्री शेड तो बिस्कोमान गोदाम सहित कई मकान का निर्माण हो चुका है। आगे भी यह सिलसिला जारी है। हसरा के तालाब में मकान बनाए जा रहे हैं तो धर्मपुर में एक मुख्य जल स्त्रोत में प्राथमिक विद्यालय का भवन है। दूसरे में सामुदायिक भवन का निर्माण करा दिया गया।

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ऐतिहासिक तालाब

मरम्मत के अभाव में ध्वस्त

अमैठी पंचायत के एक स्थान पर ऐतिहासिक तालाब मरम्मत के अभाव में ध्वस्त होकर अपना अस्तित्व खो रहा है। हड़ाही स्थान का तालाब तो महाभारत काल का निर्मित बताया जाता है। किंवदंति है कि इसी स्थल से रुक् िमणी का हरण हुआ था। जो कुर्किहार से भूमिगत रास्ते होते हुए यहा स्नान करके पूजा करने आया करती थीं।

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चार सौ से आठ सौ फीट

भू जलस्तर नीचे चला गया

तालाब के इर्द-गिर्द वैसे किसान तालाब के पानी को हमेशा बचाए रखने का प्रयास करते हैं, लेकिन मरम्मत नहीं होने के कारण इसका अस्तित्व मिटता जा रहा है। वैसे प्रखंड के 80 प्रतिशत खेती का काम आज भी प्राकृतिक जल स्त्रोत यानी तालाबों एवं नदी नालों पर ही निर्भर करता है। बावजूद इसके न तो इसकी मरम्मत हो रही है ना संरक्षण। तालाबों के मिटते अस्तित्व का खतरा भी क्षेत्र में मंडराने लगा है। भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है। कई गावों में 400 से 800 फीट की गहराई तक बोरिंग करने पर जल का एक भी बूंद नहीं मिल रहा है।

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तरवां के तालाब पर

अतिक्रमण

तरवा में बीते जून जुलाई में लघु सिंचाई योजना से कुछ तालाबों का जीर्णोद्धार किया गया है। एक अति महत्वपूर्ण तालाब जो तरवा पंचायत सरकार भवन के निकट अवस्थित है, उसे गाव के एक दबंग व्यक्ति द्वारा पूर्ण रूप से अतिक्रमण कर लिया गया है। उसे ना तो मरम्मत किया जाता है और ना ही किसानों को पानी लेने दिया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि तालाब खेती के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करा लिया जाए तो उसकी मरम्मत कराकर सिंचाई स्त्रोत के रूप में काम लिया जा सकता है।


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