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महाबोधि मंदिर की सुरक्षा के लिए बन रही काच की दीवार

फोटो- ---------- सुरक्षा और सुंदरता -मंदिर में प्रवेश करने वालों की हर गतिविधि पर रखी जा सकेगी नजर -कांच की दीवार बनाने के लिए पाइलिंग कर स्टील के फ्रेम लगाए गए --------- -07 फीट ऊंची और 13.5 एमएम मोटी होगी -54 लाख रुपये कांच की दीवार पर आएगी लागत -------- जागरण संवाददाता बोधगया

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 07:24 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 07:24 PM (IST)
महाबोधि मंदिर की सुरक्षा के लिए बन रही काच की दीवार
महाबोधि मंदिर की सुरक्षा के लिए बन रही काच की दीवार

गया । विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर की बाह्य सुरक्षा को लेकर लाल पैडस्टल क्षेत्र में काच की दीवार बनाई जा रही है। पारदर्शी काच की दीवार स्टील के फ्रेम पर लगाई जा रही है। यह दीवार मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार तक बनाई जाएगी ताकि मंदिर में प्रवेश करने वालों की हर गतिविधि पर सुरक्षाकर्मी नजर रख सकें। साथ ही मंदिर में प्रवेश करने वाले पर्यटक दूसरी दिशा से किसी से कुछ ले-दे न सकें।

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कांच की दीवार सात फीट ऊंची और 13.5 एमएम मोटी होगी। प्रवेश द्वार संख्या एक से बीटीएमसी के समीप तक कार्य समिति कार्यालय की तरफ से स्टील के फ्रेम पर कांच लगाए जा रहे हैं। इस पर लगभग 54 लाख रुपये की लागत आएगी।

बीटीएमसी सचिव एन. दोरजे ने बताया कि उक्त कार्य को निविदा के तहत चयनित एजेंसी सावित्री रिन्यूएबल एनर्जी प्रा. लि. द्वारा कराया जा रहा है। जून 2018 में निविदा आमंत्रित किया गया था। उसके बाद चयनित एजेंसी को जुलाई 2018 में कार्य कराने संबंधी पत्र निर्गत किया गया था। कांच की दीवार बनाने के लिए पाइलिंग कर स्टील के फ्रेम लगाए गए। लगभग एक फीट ऊंची पाइलिंग पर फ्रेम से जोड़कर कांच की दीवार खड़ी की जा रही है ताकि हवा के तेज झोंके से क्षति नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा कि एजेंसी द्वारा पहले एक कांच फ्रेम कर मॉडल के तौर पर प्रदर्शित किया गया था। सहमति मिलने पर कार्य प्रारंभ किया गया है। कांच की दीवार से सुरक्षा के साथ-साथ मंदिर की सुंदरता भी बढ़ेगी।

बता दें कि लाल पैडस्टल के आधे हिस्से का प्रयोग वर्तमान में लोहे की बैरिकेंडिंग कर मंदिर में प्रवेश के लिए और आधे हिस्से का बाजार क्षेत्र सहित श्री जगन्नाथ मंदिर में आवागमन के लिए किया जाता है। इसलिए लोहे की बैरिकेडिंग की जगह पर कांच की दीवार पारदर्शी सुरक्षा में सहायक साबित होगी।


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