आम लोगों की सहभागिता से पूरा होगा जल-जीवन-हरियाली का लक्ष्य
जल-जीवन हरियाली अभियान में आम सहभागिता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह मानव जीवन को बचाने के लिए सबसे जरूरी कदम है। पहले बिहार में यह मान्यता थी कि यहां जल संकट नहीं है। लेकिन बदलते समय के साथ आबादी बढ़ी व लोगों की जरूरतें भी।
मोतिहारी । जल-जीवन हरियाली अभियान में आम सहभागिता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह मानव जीवन को बचाने के लिए सबसे जरूरी कदम है। पहले बिहार में यह मान्यता थी कि यहां जल संकट नहीं है। लेकिन बदलते समय के साथ आबादी बढ़ी व लोगों की जरूरतें भी। दक्षिण बिहार में पानी के लेयर नीचे जाने की बात सुनते थे, पर उत्तर बिहार में दरभंगा जैसे जगह पर पानी का लेयर नीचे जाना चिता का विषय है। आने वाले संकट से निपटने के लिए जल-जीवन हरियाली अभियान का शुभारंभ किया गया। इससे जोड़कर कई प्रकार के काम किए जा रहे हैं। लाइव वेबकास्टिग के माध्यम से सीएम ने योजना के मूल उद्देश्यों को बताया व कहा कि जल का संरक्षण व पौधारोपण मानव जीवन को संकट से उबारने के लिए जरूरी है। उन्होंने योजना के तमाम लाभों के बारे में जानकारी दी। नगर भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में नगर विधायक प्रमोद कुमार, जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक, डीडीसी कमलेश कुमार सिंह समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे। इस क्रम में विधायक श्री प्रमोद ने कहा कि जल व हरियाली है तभी जीवन है। यह अभियान जीवन को बचाने के लिए है। बढ़ रही आबादी को शुद्ध् पेयजल के साथ ऑक्सीजन जरूरी है। सरकार ने इस अभियान से आम लोगों को जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है। इस दिशा में कार्य भी हो रहे हैं। अधिक से अधिक पौधारोपण करने के साथ भू-जल को रिचार्ज करने के लिए लोगों को आगे आना होगा। आम लोग जबतक इस अभियान से नहीं जुड़ेंगे तबतक इस अभियान के लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सकता है। डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने कहा कि सरकार का यह अभियान जनहित के लिए है। इसके तहत विभिन्न योजनाओं के तहत कार्य किया जा रहा है। आम लोगों को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। विभिन्न स्तरों पर कार्य सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं। तालाबों का निर्माण व जीर्णोद्धार के अलावा नदियों के संरक्षण की दिशा में कार्य किए जा रहे हैं। यह कार्य किसी एक समाज के लिए नहीं कई पीढि़यों के लिए है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी खेतों में पराली को नहीं जलाकर कंपोस्ट का निर्माण करें। इससे वातावरण शुद्ध रहेगा। भू-जल को रिचार्ज करने के लिए सोख्ता के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। रेन वाटर हारवेस्टिग सिस्टम लगाने के लिए भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा पानी की बर्बादी कम करने के लिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।