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देवी दर्शन को पूजा पंडालों में उमड़ी भीड़, कोरोना से बचाव को खास इतजाम

मोतिहारी। देवी की कृपा तो हर वक्त अपने भक्तों पर बरसती है। लेकिन खास तौर पर शारदीय नवर

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 11:47 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:06 AM (IST)
देवी दर्शन को पूजा पंडालों में उमड़ी भीड़, कोरोना से बचाव को खास इतजाम
देवी दर्शन को पूजा पंडालों में उमड़ी भीड़, कोरोना से बचाव को खास इतजाम

मोतिहारी। देवी की कृपा तो हर वक्त अपने भक्तों पर बरसती है। लेकिन, खास तौर पर शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा सभी भक्तों को आशीष देने आती हैं। इस अवधि में मां के भक्त उनके सिद्ध पीठों पर दर्शन के लिए जाते हैं। जो नहीं जा पाते हैं वे अपने घर पर पूजा करते हैं। इस बार शारदीय नवरात्र पर कोरोना संक्रमण का ग्रहण दिखा। इसको लेकर सरकार व स्थानीय प्रशासन के निर्देश पर पूजा को भव्य रूप नहीं दिया जा सका। शहर के भवानी मंडप, श्री भैरव स्थान बनियापट्टी, कचहरी दुर्गा मंदिर, बलुआ दुर्गा मंदिर, चांदमारी चौक माई स्थान पर पूजा का आयोजन किया गया है। यहां सौ से अधिक लोगों की उपस्थिति पर पूर्णत: रोक है। हालाकि श्रद्धालुओं की कोरोना से सुरक्षा को लेकर पूजा समिति द्वारा व्यवस्था भी की गई है। शहर के बनियापट्टी स्थित दुर्गा पूजा समिति के राजकुमार बताते है कि पूजा स्थल पर श्रद्धालुओं की भीड़ ना हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है। साथ ही प्रसाद के वितरण में भी सुरक्षा मानकों का ख्याल रखा जा रहा है। पूजा स्थल पर आम लोगों का प्रवेश भी वर्जित है। लोगों को एक निश्चित दूरी से मां की पूजा की अनुमति है। कुछ यह हाल बलुआ दुर्गा मंदिर, कचहरी चौक स्थित जगदंबा आनंदधाम, चांदमारी चौक माई स्थान सहित बेलही देवी मंदिर, स्टेशन रोड पूजा स्थल, नगर भवन के समीप स्थित मंदिर, मीना बाजार मंदिर, छतौनी सहित विभिन्न पूजा स्थलों पर कलश स्थापना कर माता की पूजा की जा रही है। वही किसी भी पूजा स्थल पर मेला का आयोजन पूर्ण प्रतिबंधित किया गया है। प्रशासन भी पूजा स्थलों का लगातार भ्रमण कर सुरक्षा मानकों का ध्यान रखने का निर्देश देती दिख रही है। हालाकि मां का पट खुलने के साथ पूजा स्थलों पर आसपास के श्रद्धालु भक्तों का आना-जाना लगा रहा।

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इनसेट के लिए

फोटो 23 एमटीएच 08

रामगढ़वा, संस : प्रखंड के बंधुबारवा गांव स्थित सिंहासिनी माई मनोवांछित कामनाएं पूरी करती हैं। यही वजह है कि यहां प्रतिदिन श्रृद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। नवरात्र में तो यहां का नजारा ही और होता है। यहां आचार्य प्रो. पंडित सत्यदेव मिश्र की देखरेख में नवरात्र भर साधक उपासना में लगे रहते हैं। नवरात्रा काल में यहां पूरे प्रांत के अलग-अलग जगहों से प्रतिदिन नामी- गिरामी लोग सहित पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों का आना-जाना लगा रहता है। इस स्थान की गिनती सिद्धपीठ के रुप में हो रही है। इस स्थान के दुर्गा प्रतिमा शिलापट की तुलना तारापीठ से की जाती है। शिलापट्ट में सातों माइ विद्यमान है। स्थानीय जानकारों के मुताबिक दुर्गा के नव रूपों में दो रुपों का शिलापट अप्राप्त है। इस स्थान के संबंध में बंधुबारवा गांव निवासी पत्रकार सह राजनीतिज्ञ अर्जुन सिंह भारतीय ने बताया कि इस गांव के आदि पुरूष कहे जाने वाले हजारी सिंह द्वारा इस स्थान की स्थापना करने की बात मानी जाती है। 18वीं सदी में बेतिया राज को अलीवर्दी खां के हमले से बचाने में हजारी सिंह ने एक हजार चंदेल लड़ाकों के साथ बेतिया राज की मदद की। ऐसा माना जाता है कि कहीं भी युद्ध करने के पूर्व हजारी सिंह सिंहासिनी माता की पूजा अर्चना करते थे। कालांतर में इनकी मृत्यु के उपरांत सिंहासिनी माई स्थान थोड़ा उपेक्षित होने लगा। इस स्थान का शिलापट एक पीपल के पेड़ के बीच में दब गया। 25 वर्ष पूर्व पीपल का वृक्ष गिर गया व इसमें दबी माता का शिलापट्ट बाहर आया। तब से इस गांव के लोगों का ध्यान इस अति दुर्लभ मां दुर्गा के शिलापट्ट की तरफ गया। वैसे गांव के बड़े-बुजुर्गो का कहना है कि इस वृक्ष के समीप माता के दो शिलापट्ट हमेशा ²श्यमान रहे हैं। आचार्य प्रो. श्री मिश्र ने बताया कि शाम में यहां आरती होने के बाद ही गांव में चूल्हा जलता है। पूजा-अर्चना व साधना के लिए यहां पहुंचने वाले साधकों व श्रद्धालुओं की संख्या में हर बार बढ़ोतरी होती है। अधर में लटकी पर्यटन मंत्री की घोषणा

दो वर्ष पूर्व यहां पर्यटन मंत्री सह मोतिहारी के भाजपा विधायक प्रमोद कुमार ने स्वंय आकर इसे पर्यटन स्थल से जोड़ने की घोषणा की। साथ ही इस स्थान को अत्याधुनिक बनाने की बात कही, जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी है।


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