नागरिक सुरक्षा को लेकर लोगों को करना होगा जागरूक
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आज 6 दिसंबर को नागरिक सुरक्षा दिवस मनाया जाना है। बता दे कि यह दिवस सामान्य नागरिकों को देश सेवा व उनके भीतर राष्ट्र भावना को प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है।
मोतिहारी । प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आज 6 दिसंबर को नागरिक सुरक्षा दिवस मनाया जाना है। बता दे कि यह दिवस सामान्य नागरिकों को देश सेवा व उनके भीतर राष्ट्र भावना को प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है। यूं तो नागरिक सुरक्षा दिवस 24 मई 1941 से ही मनाई जाती रही है। हालांकि बड़े पैमाने पर यह देश की आजादी के बाद सन 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को और भी मजबूत करने के उद्देश्य से मनाया जाने लगा। तब प्राकृतिक आपदाओं तथा अन्य आपदाओं से निपटने के लिए नागरिकों का एक समूह तैयार किया गया। समूह के सदस्य किसी भी आपदा से निपटने के लिए सदैव तत्पर रहते थे। वे जिम्मेदारी पूर्वक प्राकृतिक आपदाओं जैसे आगजनी, बाढ़ जैसी विकराल समस्याओं के समय लोगों के बीच एकजुट होकर सहायता करते थे। साथ ही नागरिक सुरक्षा दल के सदस्य सक्रिय रुप से लोगों को सबकी मदद करना और सब के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ाते हुए हर स्तर पर सहयोग की भावना को विकसित करने का काम करते थे। यही कारण था कि जहां एक तरफ भारत-चीन युद्ध के दौरान देश के सैनिक अपने प्राणों की आहुति दे कर सीमाओं की रक्षा कर रहे थे, वहीं देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए नागरिक संगठनों के सदस्यों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी। नागरिक सुरक्षा दिवस के अवसर पर जिले में भी कई कार्यक्रम आयोजन किए जाने हैं। वहीं प्रबुद्धजनो के बीच भी इस दिवस को लेकर काफी उत्सुकता देखी जा रही है।
आजादी के बाद से ही देश के नागरिकों के उन्नयन के लिए जो व्यवस्था होनी चाहिए थी, वो हुई नही। नतीजा है कि 70 साल में पूरी व्यवस्था चरमरा गई है। शिक्षा, स्वास्थ्य व प्रसाशन तकरीबन सभी व्यवस्थाएं कॉलेप्सेड हैं। अनैतिक अपराधों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। महिला सुरक्षा हाशिए पर है।
राय सुदरदेव शर्मा, समाजसेवी बुजुर्ग लोग बैंकिग क्राइम के शिकार हो रहे हैं। बैंकिग फर्जीवाड़ा के जद्द में सबसे बुजुर्ग आ रहे हैं। स्वास्थ्य से लेकर हर तरह की सुविधा का घोर अभाव है। वरिष्ठ नागरिकों की सुविधा के लिए हर जगह लिखा तो जरूर रहता है, परंतु फायदा नही मिल पाता। प्रदीप कुमार, जेपी सेनानी आए दिन सरकार द्वारा नई नई योजना लाई जाती है। परंतु आममलोगों को उनका लाभ नहीं मिल पाता। महिला वर्ग को रिजर्वेशन जरूर मिला है, परन्तु समाज मे महिलाओं पर अत्याचार बढ़ा है। प्रशासन की लापरवाही से शराबबंदी के बाद भी इसकी बिक्री चालू है।
आशा वर्मा, सेवानिवृत्त शिक्षिका
स्वास्थ्य के क्षेत्र में आशा की बहाली, आंगनबाड़ी, टीकाकरण जैसी योजनाओं से लाभ हुआ है। महिला सुरक्षा पर हम निराश हैं। इसके लिए लोगों को जागरूक करना होगा। अलग से एक योजना बनाकर सेल्फ डिफेंस का पाठ बच्चियों को स्कूल से ही पढ़ाना होगा।
संगीता चित्रांश, समाज सेविका
सिर्फ योजनाएं बन रही हैं परन्तु उनपर कोई काम नहीं हो रहा है।
आशा सिंह, समाजसेवी
कहने को व्यवस्था तो है, परंतु पूर्णरूप से नागरिक खुद को सुरक्षित नहीं समझ रहे हैं। नागरिकों व सुरक्षा कर्मी के अनुपात में काफी अंतर है। असुरक्षा का एक और कारण बेरोजगारी है।
साजिद राजा, समाजसेवी