गंडक के उग्र होते ही सुरक्षित निकाली जाने लगीं नव-विवाहिताएं
मोतिहारी । जिले में गंडक नदी का सैलाब लोगों के लिए आफत बन गया है। बड़े अरमान के साथ बियाह कर
मोतिहारी । जिले में गंडक नदी का सैलाब लोगों के लिए आफत बन गया है। बड़े अरमान के साथ बियाह कर ससुराल आई दुल्हनें बाढ़ से बचने के लिए हाथों की मेहंदी छूटे बिना लौटने को विवश हैं। गंडक की उफनती धारा में वे डूब न जाएं, इसलिए परिवार वाले मायके या सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे। जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों से हर दिन दुल्हनों का पलायन जारी है।
इजरा नवादा के समीप तटबंध पर शरण लिए हरेंद्र राउत बताते हैं कि अचानक बाढ़ का पानी उनके घर के अहाते में आ गया। रात का समय था। ऐसे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं? सबसे पहले बच्चे व बहुओं को घर से जैसे-तैसे निकाल संबंधियों के यहा भेजवाया। बाद में घर के पुरुष कुछ सामान लेकर ऊंचे स्थानों को निकले। बाढ़ की विभीषिका ने पलायन को मजबूर कर दिया है।
हर साल झेलते बाढ़ का दंश : एक हाथ में पर्स, दूसरे में कपड़ों का थैला और ससुर, जेठ से बचकर घूंघट के साथ पानी पार करने की दुल्हनों की जद्दोजहद कम मुश्किल नहीं है। कुछ जगहों पर निकलने के लिए नाव की भी व्यवस्था नहीं है। मननपुर गाव की रिंकू देवी बताती हैं कि अमूमन हर साल बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है। इस बार कोरोना महामारी ने मुसीबत और बढ़ा दी है। अचानक आई बाढ़ के कारण घर में रखा सारा समान बर्बाद हो गया। जो थोड़ा बहुत राशन व सामान बचा था, उस लेकर बाध पर रह रही हूं। बहू कोमायके भेज दिया है। बाढ़ का पानी ऐसे ही बढ़ता रहा तो अपनी बहन के घर मोतिहारी चली जाऊंगी।
ध्रुप प्रसाद, कन्हैया जी, विजेंद्र व लालबाबू सहित अन्य ग्रामीणों का कहना है कि कहीं मकान ध्वस्त हो गए हैं तो कहीं घर में कमर से अधिक पानी जमा है। ऐसे में घर में रहना मुश्किल है। घरेलू सामान को सहेज कर निकालने का समय नहीं है। बाढ़ प्रभावित गावों से बच्चे और महिलाएं सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।
जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक का कहना है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत व बचाव कार्य जोरों पर है। एनडीआरएफ की टीम को भी तैनात किया गया है। पर्याप्त संख्या में नावों की व्यवस्था की गई है।