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कचरा उठाव में बरती जा रही लापरवाही, शहर की स्थिति बनी नारकीय

मोतिहारी। नगर परिषद द्वारा सफाई व कर्मचारियों के मद में प्रतिमाह तकरीबन 35 से 40 लाख रुपये खर्च करती है फिर भी शहर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 10:38 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 10:38 PM (IST)
कचरा उठाव में बरती जा रही लापरवाही, शहर की स्थिति बनी नारकीय
कचरा उठाव में बरती जा रही लापरवाही, शहर की स्थिति बनी नारकीय

मोतिहारी। नगर परिषद द्वारा सफाई व कर्मचारियों के मद में प्रतिमाह तकरीबन 35 से 40 लाख रुपये खर्च करती है फिर भी शहर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। इससे साफ जाहिर होता है कि नगर परिषद कूड़ा निस्तारण के प्रति लापरवाह है। अबतक कूड़ा निस्तारण के लिए जमीन की खरीद भी नहीं हो सकी है। इस कारण नप प्रशासन शहर के मोहल्लों के कचरा का निस्तारण जहां-तहां कर रहा है। हा,ं शहर में किसी विशिष्ट अतिथि के आगमन पर नगर परिषद परिषद द्वारा शहर को चकाचक कर दिया जाता है। लेकिन, अतिथि के जाने के बाद स्थिति यथावत हो जाती है। नगर परिषद के पास संसाधनों की कमी भी नहीं है, बावजूद ऐसी स्थिति बनी हुई है कि शहर में सड़क पर निकलना मुश्किल होता है। शहर के अमलापट्टी, खोदानगर रोड, जानपुल रोड, पटेल चौक, स्टेशन रोड, शांतिपुरी मोड़, मधुबन छावनी चौक, को-आपरेटिव बैंक के समीप सहित अन्य जगहों पर जगह-जगह कूड़े के ढेर से निकल रहे दुर्गंध के कारण नाक पर रूमाल रखकर चलना लोगों की मजबूरी बन गई है। अगर यही स्थिति बरकरार रही तो शहर में महामारी फैलने से इन्कार नहीं किया जा सकता है। बताया गया है कि नगर परिषद प्रतिदिन तकरीबन सौ टन कूड़ा का निस्तारण करता है। बावजूद इसके यह स्थिति बरकरार है। कूड़ा निस्तारण के लिए जगह की कमी व बढ़ रही शहर की आबादी नगर परिषद के सामने एक चुनौती के रूप में सामने है। नए-नए मोहल्ले बसते जा रहे हैं लिहाजा कूड़ा निकलने का रफ्तार भी उसी गति से बढ़ रही है। वार्डो में बनाएं गए कूड़ा घर भी बदहाल है। जबकि शहर में कूड़ेदान भी जहां-तहां लगा दिए गए हैं। नगर परिषद द्वारा लाखों रुपये खर्च के बावजूद भी स्वच्छता का कोई असर नहीं दिख रहा।

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डोर टू डोर कचरा उठाने का सिस्टम फेल

नगर परिषद ने अपने संसाधनों के अलावा शहर की सफाई के लिए निजी कंपनी को लगाया है। जिसके जिम्मे घर-घर कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी दी गई है। बावजूद इसके नप प्रशासन कचरा उठाव करने में विफल साबित हो रहा है। इस कंपनी की स्थिति यह है कि किसी दिन कचरा उठाने आती है और किसी दिन नहीं। कंपनी भी अपनी मर्जी के अनुसार कार्य कर रही है। जिसके कारण स्थिति और खराब हो गई है। नगर परिषद कचरे का निष्पादन शहर से बाहर नेशनल हाई-वे पर करती है।

महीने में निजी एजेंसी पर खर्च 13.5 लाख

ढाई साल से शहर को कचरा से मुक्त करने की योजना पर काम किया जा रहा है। लेकिन, धरातल पर काम पूरे तौर पर आकार नहीं ले सका। शहर की सफाई के लिए सिलीगुड़ी की एक निजी कंपनी लगी है। इस एजेंसी पर प्रतिमाह सफाई पर तकरीबन साढ़े 13 लाख रुपये भुगतान करती है। इस एजेंसी को घर-घर जाकर कूड़ा उठाने की जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन, शहर साफ हो इसका इंतजार लोग लगातार कर ही रहे हैं।

4.5 करोड़ की लागत से बना कचरा प्रोसेसिग प्लांट भी पहुंच पथ की कमी के कारण बेकार

कचरा निस्तारण के लिए नगर परिषद ने जमला में अपनी तीन एकड़ भूमि पर कचरा प्रोसेसिग प्लांट लगाने का कार्य किया। साढ़े चार करोड़ की लागत से प्लांट बनकर तैयार हो गया। लेकिन, पहुंच पथ नहीं होने के कारण शहर का कचरा प्रोसेसिग प्लांट की बजाय हाई-वे के किनारे फेंका जा रहा है।

शहर में लगाए गए 80 लाख के कूड़ेदान

चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष समारोह के दौरान नगर परिषद ने आनन-फानन में 80 लाख की लागत से एक हजार डिब्बे (कूड़ादान) शहर के मोहल्लों व गलियों में लगा दिए। लेकिन स्थिति पूर्व की तरह ही बनी है। कूड़ेदानों को व्यवस्थित तरीके से नहीं लगाने के कारण ये इधर-उधर गिरे पड़े हैं। कई तो टूट कर बिखरे पड़े हुए हैं। वहीं, डब्बों का कचरा सड़क पर बिखरने एवं इन पर पशुओं के मंडराने से संकट और बढ़ गया है।

पर्यावरण के साथ हो रहा खिलवाड़

नगर परिषद हाइवे के किनारे कूड़ा का निस्तारण कर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रही है। एक तरफ सूबे की सरकार पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखा रही है। स्वयंसेवी संस्थान से लेकर प्रबुद्ध नागरिक आए दिन पेड़-पौधे लगाकर वातावरण को ठीक करने में जुटे हैं। दूसरी तरफ नप प्रशासन कूड़ा-कचरा का निस्तारण कर सड़क के किनारे लगे पेड़- पौधों को बेजान करने में जुटी है। कूड़ा फेंकने के कारण वहां लगाए गए हरे-भरे पेड़ सूख रहे हैं। जिससे पर्यावरण पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। जबकि वहां के आसपास की भूमि की उर्वरा शक्ति भी नष्ट हो रही है। यदि कचरा निस्तारण करने का यहीं क्रम बना रहे तो इसमें मौजूद जहरीला तत्व जमीन को बंजर बना देगा। हैरत की बात यह है कि जिला प्रशासन के बड़े अधिकारियों को इस बात का संज्ञान है। बावजूद इसके यह सिलसिला थम नहीं रहा है। ---------------------------

नगर परिषद के सफाई संसाधन ट्रैक्टर ट्राली-5, टाटा मैजिक- 38, सुपर सक्शन डी-सिल्टींग मशीन- 1, सक्शन डी-सिल्टींग मशीन का टैंकर- 2, जेसीबी- 2, सेक्सन मशीन- 2, टीपर-2, बॉबकाट- 4, नाली मैंन- 1, लिफ्टिग वाहन- 2, ई-रिक्शा-2, हैंड ट्रॉली- 50, एंबेस्टर- 1, ऑल्टो- 1, स्कॉर्पियो- 1 --------

नप में सक्रिय सफाई कर्मचारी

- स्थाई महिला सफाई कर्मचारी- 41

- स्थाई पुरुष कर्मचारी- 60

- संविदा पर बहाल सफाई कर्मचारी- 113 -----------

सफाई उपकरण व कर्मचारियों पर प्रतिमाह खर्च - मच्छर मारने के लिए फौगिग पर खर्च- 1.67 लाख रुपये

- वाहन के ईंधन के रुप में खर्च- 03 लाख रुपये

- वाहनों के खराब होने पर खर्च- 10 लाख

- सफाई कर्मचारियों के वेतन मद में- 20 लाख

----------------------------- वर्जन

शहर को स्वच्छ बनाए रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। शहर में तीन शिफ्ट में सफाई कराई जा रही है। कूड़ा- कचरा को रखने के लिए निर्धारित जगहों पर कूड़ेदान लगाया गया है। इस दिशा में शहरवासियों का भी सहयोग जरूरी है।

विमल कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, मोतिहारी


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