खादी मेले में बहुरंगी संस्कृति की दिख रही झलक
मोतिहारी। चंपारण से बापू व चरखा के संबंधों की जीवंत झलक खादी मेले में देखने को मिल रही है।
मोतिहारी। चंपारण से बापू व चरखा के संबंधों की जीवंत झलक खादी मेले में देखने को मिल रही है। यहां बापू द्वारा चरखा काटने की झलक मेला में प्रवेश करते ही दिखाई देता है। नगर भवन के मैदान में आयोजित इस मेले में सोलर चरखा से सूत काटती महिलाओं के अलावा इस सूत से कपड़ा की बुनाई तक का प्रदर्शन लोगों को अपनी ओर खींच रहा है। समय के साथ खादी उद्योग ने यह बताने की कोशिश की है कि सूत भले ही वहीं रहेगा, पर तकनीक जरूर बदल गया है। पहले सामान्य चरखा से लोग सूत काटते थे। अब बेहतर गुणवत्ता के साथ अधिक उत्पादन को लेकर सोलर चरखा कितना लाभप्रद हो सकता है इसे यहां बताने की कोशिश की जा रही है। यहां मधुबनी पेंटिग की कलाकृति से सुसज्जित परिधान भी हैं। यहां लगे स्टॉलों पर चंपारण समेत अन्य जिलों के उत्पाद को देखने के लिए मेले में पहुंचे लोग जानकारी एकत्र करने के साथ खरीदारी भी कर रहे हैं। बापू की 150वीं जयंती से प्रारंभ यह मेला 11 अक्टूबर तक चलेगा। लोगों को आकर्षित करने के लिए 20 फीसद की छूट भी दी जा रही है। मेले में शिव खादी ग्राम उद्योग संघ ने भी स्टॉल लगा रखा है। मंत्री कुमुद देवी व सहायक मंत्री मनीष कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि भारत सरकार व बिहार सरकार के संयुक्त निर्देश व खादी प्रोत्साहन अभियान के तहत ग्राहकों को सूती, रेशमी, खादी, ऊनी व कंबल की खरीदारी पर छूट दी जा रही है। इसको लेकर ग्राहकों में खादी की खरीदारी को ले उत्साह भी दिखा। मनीष कुमार ने बताया कि शिव खादी द्वारा गरीब कटिग व बुनकर को खादी ग्रामोद्योग आयोग व बिहार राज्य खादी बोर्ड द्वारा चरखा दे रोजगार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे उत्पादित चंपारण की खादी खादीधारियों को मुहैया कराने के साथ उसे अन्य प्रदेशों में भी भेजी जा रही है। स्टॉल पर विजय कुमार वर्मा, शंकर दुबे, रेवतीलाल ओझा सहित अन्य लोगों को चंपारण निर्मित खादी व अन्य खादी, रेश्मी, उनी, कंबल, सूती की जानकारी देते दिखे। प्रदर्शनी में पटना, मुजफ्फरपुर, मधुबनी, वैशाली, भागलपुर सहित अन्य जिलों के स्टॉल लगे हैं।