एमएस कॉलेज को 1948 के बाद फिर मिली 46.07 एकड़ जमीन
मोतिहारी । शहर के लब्ध-प्रतिष्ठित मुंशी सिंह महाविद्यालय ने 1948 में बेतिया राज से लीज पर मिली
मोतिहारी । शहर के लब्ध-प्रतिष्ठित मुंशी सिंह महाविद्यालय ने 1948 में बेतिया राज से लीज पर मिली 46.07 एकड़ जमीन को फिर से हासिल कर लिया है। बीच के कालखंड में कतिपय कारणों और महाविद्यालय प्रशासन की उदासीनता की वजह से यह जमीन उसके हाथ से खिसक गई थी। 46.07 एकड़ (बड़ी लग्गी से 37 बीघा, 04 कट्ठा) यह जमीन शहर हवाई अड्डा चौक से कोर्ट बाइपास के बीच में अवस्थित है। बेतिया स्टेट से लीज पर ली गई इस जमीन को राज्यपाल द्वारा महाविद्यालय को हस्तांतरित किया गया है। इस संबंध में राज्यपाल सचिवालय के अपर सचिव ने बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मु•ाफ्फरपुर और यहां के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा है। ज्ञात हो कि इस संबंध में बिहार विधान परिषद् में सारण स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के विधान पार्षद वीरेंद्र नारायण यादव ने भी ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया था। इस आलोक में राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय एवं जिला प्रशासन को लिखा था। राज्यपाल सचिवालय के पत्र के आलोक में महाविद्यालय के प्राचार्य डा. हरिनारायण ठाकुर ने भी जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उक्त जमीन को अतिक्रमण मुक्त करवाते हुए महाविद्यालय को हस्तांतरित करने का अनुरोध किया है। इस संबंध में कार्रवाई के लिए बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलसचिव भी 30 जून को जिलाधिकारी को पत्र भेज चुके हैं। यहां बता दें कि उक्त जमीन अक्टूबर, 1948 से महाविद्यालय के नाम लीज पर बेतिया राज द्वारा लीज की गई थी। लीज समाप्त होने के बाद महाविद्यालय ने बार-बार लीज बढ़ाने का अनुरोध किया, किन्तु नियमानुसार सरकारी संस्था की लीज विस्तारित नहीं होती है। राज्यपाल स्तर से जमीन संस्था के नाम स्थायी रूप से स्थानांतरित कर दी जाती है। यह जानने के बाद भी बीच की अवधि में कॉलेज प्रशासन कागजी घोड़ा दौड़ाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करते रहे। वर्तमान प्राचार्य प्रो. हरिनारायण ठाकुर ने जब वर्ष 2016-17 में पहली बार इस महाविद्यालय में योगदान किया तभी से वे इस कार्य में लग गए थे। उन्होंने राज्यपाल को भी इस स्थिति से अवगत कराया। अंतत: राज्यपाल सचिवालय ने वर्ष 2018 में समुचित कार्रवाई करते हुए कालेज जमीन स्थानान्तरित कर दी। वर्ष 2019 में विश्वविद्यालय ने भी कार्रवाई शुरू की। जब प्राचार्य दूसरी बार इस महाविद्यालय में आये तब इस पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हुई है। वर्जन यह मामला वर्षों से लंबित था। मैंने जब पहली बार इस महाविद्यालय में योगदान दिया तभी से उसकी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। मेरे स्थानांतरण के बाद मामला दब गया था। दूसरी बार योगदान करने के बाद मैंने इसे प्राथमिकता सूची में सर्वोच्च स्थान देकर एक बार फिर इस काम में जोर लगाया। उम्मीद है जल्द ही जिला प्रशासन जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराकर महाविद्यालय को सौंप देगा, ताकि उसका विकास कर महाविद्यालय को समृद्ध बनाया जा सके। प्रो. हरिनारायण ठाकुर
प्रधानाचार्य, एमएस कालेज, मोतिहारी